दिल्ली में प्रदूषण से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने गुरुवार को फिर साफ किया कि निर्माण कार्य, प्रदूषण फैलाने वाली इंडस्ट्रियल यूनिट और बाहर से आने वाले 10 साल पुराने डीजल वाहन पर बैन बरकरार रहेगा जब तक इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई पूरी ना हो जाए.
सुनवाई के दौरान एनजीटी ने दिल्ली सरकार से यह भी पूछा कि अभी हाल ही में आईटीओ के पास पानी के छिड़काव करवाने के बाद प्रदूषण के स्तर में कितनी कमी आई है? दिल्ली सरकार ने कहा कि पूरी दिल्ली में PM 10 और पीएम 2.5 के स्तर में कमी आई है. हालांकि अभी भी एयर क्वालिटी खराब ही है लेकिन खतरनाक के स्तर से इसमें कमी आई है. एनजीटी ने इस मामले में शुक्रवार को दोबारा सुनवाई करने का फैसला किया है.
एनजीटी ने सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से पिछले 48 घंटे का एयर क्वालिटी का डाटा भी मांगा है. जिससे यह साफ हो सके कि फिलहाल दिल्ली में हेल्थ इमरजेंसी को देखते हुए जो बैन लगाए गए थे क्या उनको आगे भी लागू करने की जरूरत है या नहीं.
गुरुवार की सुनवाई में एनजीटी को यूपीसीए द्वारा पार्किंग और ट्रकों के प्रवेश रोक हटाने के निर्देश के बारे में भी बताया गया लेकिन एनजीटी ने साफ किया कि फिलहाल वह अपने 11 नवंबर के फैसले पर कायम है और किसी भी तरह के बैन को फिलहाल नहीं हटा रहे हैं.
शुक्रवार को होने वाली सुनवाई में एनजीटी दिल्ली सरकार की रिव्यू पिटीशन पर भी सुनवाई करेगा जिसमें कहा गया है कि ऑड-इवन को पड़ोसी राज्यों पर भी लागू करने के लिए एनजीटी निर्देश दे. इसके अलावा एनजीटी से यह भी गुजारिश की गई है कि महिलाओं और टू-व्हीलर्स को इस बार के ऑड-इवन में शामिल ना किया जाए. अगली बार से ऑड-इवन कराने के दौरान टू-व्हीलर्स के लिए किसी तरह की कोई रियायत दिल्ली सरकार नहीं मांगेगी. क्योंकि तब तक तकरीबन 2000 नई बसें दिल्ली सरकार खरीद लेगी. हालांकि महिलाओं और टू-व्हीलर को कोई छूट देने को लेकर एनजीटी पहले ही दिल्ली सरकार की अपील ठुकरा चुकी है.