नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली और आसपास के राज्यों में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को लेकर पांच राज्यों के मुख्य सचिव को तलब किया है. यूपी, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के मुख्य सचिव और कृषि सचिव को 14 नवंबर को कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए हैं.
कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण को लेकर दिल्ली समेत आसपास के राज्यों में इमरजेंसी जैसे हालात हैं, इसीलिए इस मामले में सुनवाई जल्द किए जाने की जरूरत है जिससे प्रदूषण पर नियंत्रण लगाया जा सके.
एनजीटी दिल्ली और दिल्ली के आसपास के राज्यों में खेतों में पराली को जलाने से बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर लगाई गई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है.
पराली को जलाने से रोकने के लिए एनजीटी पिछले कुछ सालों में कई तरह के दिशा-निर्देश राज्य सरकारों को जारी कर चुका है, लेकिन दिल्ली, पंजाब, हरियाणा समेत ज्यादातर राज्यों ने एनजीटी के दिशा-निर्देशों का अभी तक पालन नहीं किया है.
एनजीटी ने सुनवाई के दौरान कृषि मंत्रालय और केंद्र सरकार के अब तक के प्रदूषण को लेकर किए गए प्रयासों और उपायों पर नाखुशी भी जताई. कोर्ट ने कहा कि अब तक जो भी कोशिश की गई है उनसे प्रदूषण पर लगाम नहीं लग पाई है लिहाजा समस्या वहीं की वहीं है और प्रदूषण को झेलना लोगों की मजबूरी बन गई है.
कोर्ट का मानना था कि कृषि मंत्रालय और केंद्र की तरफ से प्रदूषण के मद्देनजर जो भी मॉनिटरिंग की गई, वो भी संतोषजनक नहीं रही. कोर्ट ने कहा कि जो आम लोग पर्यावरण को बचाने में अपना योगदान दे रहे हैं, उनको इन्सेन्टिव मिलना चाहिए जिससे उनकी देखा देखी बाकी और लोग भी प्रदूषण पर लगाम लगाने में अपना योगदान देने के लिए प्रोत्साहित हो.
साथ ही वे लोग जो पर्यावरण को बचाने और प्रदूषण को कम करने में अपना कोई सहयोग नहीं कर रहे हैं, उनको वो सुविधाएं और इन्सेन्टिव्स नहीं मिलने चाहिए.
15 नवंबर को एनजीटी इस मामले में दोबारा सुनवाई करेगा और दिल्ली समेत पांच राज्यों के मुख्य सचिव को कोर्ट के समक्ष यह बताना होगा कि प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए अब तक राज्य सरकार ने क्या-क्या प्रभावी कदम उठाए हैं. और अगर एयर क्वालिटी आने वाले समय में और खराब होती है तो उसके लिए सरकार के पास क्या कार्ययोजना है?