यमुना में प्रदूषण के स्तर को देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने यमुना किनारे फसल उगाने पर रोक लगा रखी है. इसके बावजूद तट पर खेती होने पर NGT ने तमाम एजेंसियों को इस नियम का पालन कराने की नसीहत दी है. NGT ने कहा कि फसल या सब्जियां उगाने पर बैन है, लेकिन यमुना किनारे फूलों की खेती की जा सकती है.
सब्जी और फल उगाने पर लगा बैन
NGT ने जनवरी 2015 में फसलों और खाने-पीने की चीजों को यमुना किनारे उगाने पर बैन लगा दिया था, लेकिन NGT के इस आदेश के बाद भी खुलेआम यमुना के किनारे सब्जियां और फल उगाकर बेचे जा रहे हैं.
प्रदूषण की वजह से हानिकारक हैं फसलें
NGT ने यह आदेश इसलिए दिया था क्योंकि यमुना में प्रदूषण इतना ज्यादा है कि उसके पानी से उगने वाले फल या सब्जियों को खाना लोगों के स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है. इस मामले पर दोबारा मंगलवार को सुनवाई की जाएगी.
जानबूझकर फैलाया जा रहा भ्रम
वहीं पर्यावरण सलाहकार प्रखर राव के मुताबिक आर्ट ऑफ लिविंग ने स्पष्ट किया है कि विश्व सांस्कृतिक समारोह के दौरान यमुना नदी और उसके मैदान को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया. आर्ट ऑफ लिविंग ने कुछ संगठनों पर जानबूझकर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया है.
इजाजत लेकर की गई समारोह की तैयारी
आर्ट ऑफ लिविंग के मुताबिक समारोह की तैयारी सभी तरह की इजाजत लेने के बाद शुरू की गई थी. यमुना किनारे समारोह कराने के लिए DDA से भी इजाजत ली गई थी. संगठन ने आरोप लगाया कि समारोह से पहले वहां बहुत गैर कानूनी कार्यों को अंजाम दिया जाता था.
नहीं किया गया सड़क का निर्माण
संगठन ने बताया कि कार्यक्रम के लिए किसी तरह के सड़क का निर्माण नहीं किया गया. मैप के मुताबिक सड़क पहले से मौजूद था. जहां कार्यक्रम का आयोजन हुआ, वह खेती की जमीन थी. कार्यक्रम स्थल की जमीन पर घास नहीं थी और इस तरह जैव विविधता को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया.
25 एकड़ जमीन को किया गया साफ
साल 2007 में उसी जगह पर एक कार्यक्रम हुआ था, जिसका रैंप पहले से था. संगठन ने करीब 25 एकड़ जमीन पर कूड़े-कचरे को हटाया. समारोह के बाद भूमि को अच्छी तरह से साफ किया गया और आर्ट ऑफ लिविंग पर कार्यक्रम के बाद भाग जाने का आरोप आधारहीन है.