दिल्ली में दूसरे दिन भी प्रदूषण से लोगों को राहत नहीं मिल पा रही है. प्रदूषण से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि कंस्ट्रक्शन और प्रदूषण फैलाने वाली इंडस्ट्रीज को दिल्ली में अभी तक क्यों बंद नहीं किया गया है, जबकि आपने स्कूल बंद कर दिए हैं. बावजूद इसके निर्माण कार्यों पर रोक लगाने में क्यों देरी की जा रही है. रबर, कागज, डाई जैसी प्रदूषण फैलाने वाली यूनिट्स को दिल्ली में क्यों बंद नहीं किया गया है जबकि वो हजारों की संख्या में दिल्ली में है.
एनजीटी ने दिल्ली सरकार से ये भी पूछा है कि स्कूलों को जो बंद किया है, उसकी क्या कोई केस स्टडी या फिर सर्वे रिपोर्ट उनके पास है कि बंद कमरे में पॉल्युशन कम होता है और बाहर पॉल्युशन ज्यादा होता है. कोई ऐसी स्टडी की गई है तो हमें कल तक दिखाइए. दिल्ली सरकार ने रविवार तक के लिए सभी स्कूलों की छुट्टी कर दी है, लेकिन एनजीटी जानना चाहता है कि क्या वाकई सिर्फ स्कूलों की छुट्टी करके और बच्चों को घर बिठाकर उन्हें प्रदूषण से बचाया जा सकता है या फिर ये सिर्फ एक मिथक है.
एनजीटी ने सरकार से ये भी पूछा है कि सिर्फ PM 2.5 और PM 10 पर ही प्रदूषण को क्यों नापा जा रहा है. ऐसे में एयर क्वालिटी इंडेक्स के 8 पैरामीटर पर प्रदूषण का स्तर क्यों नही नापा जा रहा है, जिसमें नाइट्रोजन, बैनजींन, अमोनिया, सल्फर जैसी खरतनाक गैस भी शामिल हैं. इनसे ही प्रदूषण को खतरनाक स्तर तक पहुंचने में मदद मिलती है. लेकिन फिलहाल प्रदूषण पर पीएम 2.5 और पीएम 10 के बढे हुए स्तर पर ही तमाम एजेंसियों और सरकार की नजर है.
इसके अलावा एनजीटी ने क्रॉप बर्निंग को लेकर 4 राज्यों से गुरुवार तक स्टेटस रिपोर्ट मांगी है जिसमे पंजाब, हरियाणा, यूपी और राजस्थान शामिल है. साथ में केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड और दिल्ली समेत पंजाब, हरियाणा, यूपी और राजस्थान के प्रदूषण बोर्ड से भी रोकथाम के लिए किए गए उपायों पर रिपोर्ट मांगी है. एनजीटी ने एनटीपीसी को भी ये बताने का निर्देंश दिया है कि वो पराली को जलाने से रोकने और फसल के वेस्ट को कितनी मात्रा में इस्तेमाल में ला सकता है. गुरुवार को फिस से एनजीटी इस मामले की सुनवाई करेगी.