Nirbhaya Caseः निर्भया के चारों दोषियों को कल शनिवार सुबह 1 बजे फांसी पर नहीं लटकाया जाएगा. पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों की फांसी टाल दी है. कोर्ट ने अगले आदेश तक फांसी पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने फांसी टालने के लिए नियम 836 का हवाला दिया, जो कहता है कि अगर दया याचिका लंबित है तो दोषी को फांसी नहीं दी जा सकती. ये फैसला एडिशनल सेशन जज धर्मेंद्र राणा ने सुनाया. ये दूसरी बार है जब दोषियों की फांसी टाली गई है. इससे पहले गुनहगारों को 22 जनवरी सुबह 7 बजे फांसी देने की तारीख तय हुई थी.
कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि दोषियों के वकील एपी सिंह ने मुझे चुनौती देते हुए कहा कि दोषियों को कभी भी फांसी नहीं दी जाएगी. आशा देवी ने कहा कि मैं अपनी लड़ाई जारी रखूंगी. सरकार को दोषियों को फांसी देनी होगी.
Asha Devi, mother of the 2012 Delhi gang-rape victim: The lawyer of the convicts, AP Singh has challenged me saying that the convicts will never be executed. I will continue my fight. The government will have to execute the convicts. pic.twitter.com/NqihzqisQo
— ANI (@ANI) January 31, 2020
दोषियों के वकील एपी सिंह ने अदालत से कहा कि विनय की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है. ऐसे में फांसी को स्थगित कर दिया जाए. निर्भया के गुनहगारों ने फांसी की सजा को टालने के लिए हरसंभव कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल किया. गुनहगार विनय ने फांसी पर रोक लगाने की मांग की थी. पटियाला हाउस कोर्ट में गुरुवार को विनय की ओर से दाखिल याचिका में राष्ट्रपति के पास दया याचिका लंबित होने के आधार पर फांसी पर रोक लगाने की अपील की गई थी.
वहीं, मामले में एक और दोषी पवन के नाबालिग होने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई थी. पवन की इस याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया था.
अलग-अलग नहीं दी जा सकती है फांसी
अदालत में सुनवाई के दौरान वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि इस मामले में फांसी अलग-अलग नहीं दी जा सकती है. नियम के हिसाब से भी किसी भी एक मामले में दोषियों को अलग-अलग फांसी नहीं दी सकती, जब तक कि सभी दोषियों की सभी याचिकाओं का निपटारा न हो जाए.
1981 के एक मामले का जिक्र
वकील वृंदा ग्रोवर ने 1981 के एक मामले का जिक्र किया, जिसमें 3 लोगों को फांसी की सजा दी गई थी. इस मामले में 2 लोगों ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगाई और उनको राष्ट्रपति ने माफ कर दिया था, लेकिन एक दोषी ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका नहीं लगाई और उसे फांसी दे दी गई. एक ही मामले में एक को फांसी हुई. इसलिए उसके बाद से सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया किसी एक मामले में फांसी सभी दोषियों को एक साथ दी जाएगी.
रिकॉर्ड टाइम में लगाई गई याचिकाएं
वकील वृंदा ग्रोवर ने अपनी दलील में कहा कि 1981 के उस मामले में जिस एक को फांसी हुई, उनको देश की कोई भी अदालत बदल नहीं सकती. फांसी देने के बाद उसको बदला नहीं जा सकता, इसलिए 1 फरवरी को फांसी नहीं दी जा सकती. इस मामले में कहा जा रहा है कि मामले को लंबा खींचने के लिए याचिकाओं को लगाया जा रहा है. तो मैं बताना चाहूंगी कि रिकॉर्ड टाइम में क्यूरेटिव और दया याचिका लगाई गई है.
निर्भया की वकील ने पूछे सवाल
इस पर निर्भया के परिवार की वक़ील सीमा ने कहा कि वृंदा ग्रोवर इस मामले में मुकेश की तरफ से पेश हो रही है या फिर एमिकस क्यूरी के तौर पर पेश हो रही है. अगर मुकेश की तरफ से पेश हो रही है तो फिर उनको सुना ही नहीं जाना चाहिए, क्योंकि उसकी सभी याचिका खारिज हो चुकी है और अगर एमिकस के तौर पर पेश हो रही है तो फिर ये फांसी का विरोध कैसे कर सकती हैं, क्योंकि एमिकस का काम तो कोर्ट को असिस्ट करना होता है.
निर्भया की वकील सीमा ने कहा कि सभी दोषियों ने इस मामले को लंबा खींचने का लगातार सालों से कोशिश की है और अभी भी वहीं कर रहे है. इन लोगों ने कोई याचिका नहीं लगाई जब तक पटियाला हाउस कोर्ट ने इस मामले में डेथ वारंट जारी नहीं कर दिया.
तिहाड़ जेल से मांगी रिपोर्ट
मौत की सजा पाए दोषी विनय ने बुधवार को यह दया याचिका लगाई थी. कोर्ट में सुनवाई के दौरान तिहाड़ जेल की तरफ से यह बताया गया कि विनय ने दया याचिका दाखिल की है और उसकी दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है. कोर्ट ने विनय की दया याचिका पर तिहाड़ प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है.
इससे पहले निर्भया के चारों दोषियों को फांसी की सजा देने के लिए पटियाला हाउस कोर्ट दो बार डेथ वारंट जारी कर चुका है. पहले डेथ वारंट को भी दोषियों की कुछ अर्जियों का निपटारा नहीं होने के चलते कोर्ट को स्थगित करना पड़ा था और नया वारंट 1 फरवरी के लिए जारी किया गया है. विनय की यह याचिका दूसरी बार डेथ वारंट को स्थगित करने के लिए लगाई गई है.
इसे भी पढ़ें---- अब फांसी पक्की? निर्भया के गुनहगार मुकेश की याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज
3 क्यूरेटिव याचिका खारिज
दूसरी ओर, कल गुरुवार को निर्भया रेप और मर्डर के दोषियों में शामिल अक्षय की क्यूरेटिव याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी. पांच जजों की बेंच ने आज अक्षय की याचिका खारिज की.
इसे भी पढ़ें---- SC ने खारिज की अक्षय की क्यूरेटिव पिटिशन, अब एक दोषी के पास बचा मौका
विनय और मुकेश की क्यूरेटिव याचिका पहले ही सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है. अक्षय तीसरा दोषी है जिसने इस विकल्प का इस्तेमाल करने के लिए अर्जी लगाई. लेकिन गुरुवार को अक्षय की क्यूरेटिव याचिका खारिज होने के बाद अब केवल एक दोषी पवन के पास क्यूरेटिव याचिका दाखिल करने का विकल्प है.