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हेलीकॉप्टर से बारिश फिलहाल संभव नहीं, दिल्ली को स्मॉग से कैसे मिलेगी राहत?

दिल्ली सरकार से 'आज तक' को मिली एक्सक्लूसिव जानकरी के मुताबिक डिफेंस, एविएशन, एयरपोर्ट अथॉरिटी ने अनुमति देने के मामले में अपनी सहमति जताई है. पवन हंस कंपनी ने चर्चा के दौरान बताया कि हेलीकॉप्टर से बारिश कराने के लिए दिल्ली में 8 ग्रिड बनाने होंगे.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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हेलीकॉप्टर से बारिश कराने के लिए दिल्ली सरकार अब स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसिजर (SOP) तैयार करेगी. हेलीकॉप्टर कंपनी पवन हंस और 25 से ज्यादा एजेंसियों से एक लंबी बैठक के बाद पर्यावरण विभाग को ज्वाइंट वर्किंग ग्रुप बनाने के आदेश दिए गए हैं.

दिल्ली सरकार से 'आज तक' को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक डिफेंस, एविएशन, एयरपोर्ट अथॉरिटी ने अनुमति देने के मामले में अपनी सहमति जताई है. पवन हंस कंपनी ने चर्चा के दौरान बताया कि हेलीकॉप्टर से बारिश कराने के लिए दिल्ली में 8 ग्रिड बनाने होंगे. यह ग्रिड ईंधन या पानी को दोबारा भरने के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे.

कंपनी ने सरकार को बताया है कि बारिश के लिए 2 तरह के हेलीकॉप्टर का प्रस्ताव है. पहला, जिसका किराया 2 लाख रुपए प्रति घंटा होगा. साथ ही इसकी क्षमता 1000 लीटर पानी की होगी. दूसरा, जिसका किराया 4 लाख रुपए प्रति घंटा है और इसकी पानी की क्षमता 3000 लीटर होती है. पानी के छिड़काव के दौरान हेलीकॉप्टर की स्पीड 50 से 60 किलोमीटर प्रति घण्टा होगी.

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दरअसल दिल्ली सचिवालय में हेलीकॉप्टर बारिश के लिए चर्चा के दौरान यह भी सामने आया कि पानी के छिड़काव के लिए मजबूत विजिबिलिटी होना बेहद जरूरी है. ऐसे में हेलीकॉप्टर से बारिश तभी संभव है जब विजिबिलिटी डेढ़ किलोमीटर हो. विजिबिलिटी के मानक दायरे को सिविल एविएशन, मौसम विभाग , सीपीसीबी, और डीपीसीसी ने भी सही माना है.

सरकार के मुताबिक कंपनी ने बताया है कि हेलीकॉप्टर से बारिश के लिए स्पेशल उपकरण की जरूरत होती है. इन उपकरण के लिए विदेश की तकनीक को अपनाने की जरूरत है. इसके अलावा हेलीकॉप्टर से बारिश के लिए नॉन फ्लाइंग जोन का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. लुटियन दिल्ली और सेंट्रल दिल्ली नॉन फ्लाइंग जोन का हिस्सा हैं. आपको बता दें कि हेलीकॉप्टर से बारिश के लिए गृह मंत्रालय, सिविल एविएशन, एयरपोर्ट अथॉरिटी, डिफेंस और एयर फोर्स की अनुमति जरूरी होती है.

दिल्ली सरकार के मुताबिक बारिश के लिए हेलीकॉप्टर में पानी और ईंधन के दोबारा भरने के लिए हेलिपैड की जरूरत होगी. यह हेलीपैड गुड़गांव, जो साउथ इलाके को कवर करेगा. रोहिणी में, जो नॉर्थ दिल्ली कवर करेगा. हिंडन में, जो यमुना पार के इलाकों को कवर करेगा. साथ ही ग्रेटर नोएडा में भी हेलीपैड बनाने को लेकर चर्चा जारी है.

फिलहाल सरकार स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसिजर (SOP) तैयार करेगी जो हेलीकॉप्टर बारिश से जुड़े मामले संभालेगी. यह प्रॉसिजर अलग-अलग एजेंसियों से अनुमति लेने से लेकर हेलीकॉप्टर बारिश से जुड़े हर पहलू पर काम करेगी.

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