नोएडा विकास प्राधिकरण (Noida Development Authority) के अफसरों की फार्म हाउस के आंवटन में गड़बड़ी का खुलासा हुआ है. सीएजी (CAG) की रिपोर्ट में ये बात निकलकर सामने आई है कि साल 2008-2009 में ज़मीन के न्यूनतम आवंटन (Minimum Allocation) की कीमत 14400 प्रति स्क्वायर मीटर थी. इसके बावजूद प्राधिकरण के अधिकारियों ने फार्म महज़ 3100 प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से बेच दिए. इस हिसाब से हर स्क्वायर मीटर पर नोएडा अथॉरिटी को लगभग 11 हजार रुपये का नुकसान हुआ. रिपोर्ट के अनुसार तत्कालीन अधिकारियों ने प्राधिकरण को 3032 करोड़ का नुकसान पहुंचाया.
खास बात ये है कि फार्म हाउस के लिए भूखंड आवंटन समिति (Plot Allotment Committee) ने आवेदनों की जांच के लिए कोई मापदंड (Criteria) ही नहीं अपनाया. जांच में सामने आया कि 51 में से 47 केस में शर्तों का उल्लंघन किया गया था. इसके साथ ही लिपिकों ने अपनी रिपोर्ट में जो खामियां बताईं, उन्हें पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया.
रिपोर्ट के मुताबिक अथॉरिटी के अफसरों की लापरवाही का आलम ये था कि जिन दो कंपनियों ने आवेदन किया था, वह उस समय अस्तित्व में ही नहीं थी, लेकिन नियमों को ताक पर रखकर फार्म हाउस आवंटित कर दिए गए. इसमें ड्रॉ निकालने तक की प्रक्रिया भी नहीं अपनाई गई. बता दें कि साल 2008 से 2011 के बीच 157 प्लॉट के लिए 18.37 लाख वर्गमीटर ज़मीन आवंटित की गई थी.
स्पोर्ट्स सिटी की मुख्य थीम गायब की
CAG की रिपोर्ट बताती है कि सेक्टर-78, 79, 101, 150 और 152 में लाई गई स्पोर्ट्स सिटी की एक भी कैटेगरी को मास्टरप्लान-2021 में शामिल नहीं किया, लेकिन इन सभी कैटेगिरी को मास्टरप्लान-2031 का हिस्सा बनाया गया. रिपोर्ट के अनुसार स्पोर्ट्स सिटी की मुख्य थीम ही गायब हो गई.
अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई
समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान लोकायुक्त ने भी फार्म हाउस मामले की जांच कर सरकार को रिपोर्ट दी थी. रिपोर्ट में पूरी प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाते हुए तत्कालीन अधिकारियों पर कार्रवाई की सिफारिश की गई थी, लेकिन इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.
ये थे प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारी
बता दें कि सन 2005 से 2006 तक नोएडा प्राधिकरण के चेयरमैन मोहिंदर सिंह और सीईओ संजीव सरन थे और 2011-12 में कैप्टन एसके द्विवेदी को नोएडा प्राधिकरण का सीईओ बनाया गया था. जबकि 2011-12 में चेयरमैन मोहिंदर सिंह थे.