आम आदमी पार्टी की सरकार ने बुधवार को दिल्ली के कश्मीरी गेट स्थित अंतरराज्यीय बस अड्डे (आईएसबीटी) पर महाराणा प्रताप की प्रतिमा का अनावरण तो किया, लेकिन इसके लिए बस अड्डे पर की गई तैयारियों ने कई सवाल खड़े कर दिए.
कार्यक्रम के दौरान जमकर ढोल नगाड़ों और स्पीकर का बेजा इस्तेमाल किया गया जबकि ख़ुद दिल्ली सरकार ने पिछले साल अक्टूबर में एक आदेश जारी करते हुए ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने की बात कही थी.
आदेश में लिखा गया था कि आईएसबीटी में ध्वनि प्रदूषण ख़तरनाक स्तिथि में पहुंच गया है और इसे रोकने के लिए तुरंत ठोस कदम उठाने की ज़रूरत है. मगर इसके उलट आज आईएसबीटी में एक अलग ही तस्वीर देखने मिली. जहां एक तरफ मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और कैलाश गहलोत महाराणा प्रताप की प्रतिमा को माला पहना रहे थे तो ढोल नगाड़े के शोर ने उस दिल्ली सरकार के ध्वनि प्रदूषण वाले आदेश की आवाज़ को ही दबा दिया.
जब परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत से इस बाबत सवाल पूछा तो उन्होंने कहा, "वो आदेश गाड़ियों की हॉन्किंग के लिए था. अब ध्वनि प्रदूषण के डर से आदमी बातचीत तो बंद नहीं कर देगा."
गौरतलब है कि आईएसबीटी में ध्वनि प्रदूषण को लेकर दिल्ली ट्रांसपोर्ट विभाग ने बड़ा फैसला लिया था. दिल्ली के आईएसबीटी बस अड्डे पर अगर बस ड्राइवर ने तेज हॉर्न बजाया तो उन्हें 500 रुपये का जुर्माना और इसके अलावा तेज आवाज में यात्री को बुलाने पर भी 100 रुपये का जुर्माना भरने का आदेश जारी हुआ था.