रामलीला मैदान को लेकर अब एमसीडी टकराव की स्थिति में है. एमसीडी का कहना है जहां से एमसीडी की कमाई होती है उसे मुफ्त में धरना-प्रदर्शन के लिए नही दिया जा सकता. यही नहीं, एमसीडी रामलीला मैदान से और ज्यादा राजस्व पाने के लिए योजना भी बना रही है.
दरअसल एनजीटी ने अपने आदेश में जंतर मंतर पर लगातार हो रहे प्रदर्शन को लेकर सवाल उठाया था और रामलीला मैदान को धरना प्रदर्शन के लिए इस्तेमाल करने को कहा था जिसके लिए दिल्ली पुलिस, दिल्ली सरकार और एनडीएमसी को नोटिस कर जवाब मांगा था. एलजीटी का कहना था कि जंतर मंतर पर आंदोलन से प्रदूषण तो फैलता ही है, साथ ही लोगों का खासी परेशानी का सामना भी करना पड़ता है और इसी मामले को लेकर अब एमसीडी भी कोर्ट को दरवाजा खटखटाएंगी.
रामलीला मैदान उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अंदर आता है, जिससे एमसीडी को सालाना 2 से 5 करोड़ रुपये तक की कमाई होती है. एमसीडी का कहना है कि पुरानी दिल्ली की इस ऐतिहासिक धरोहर का इस्तेमाल आंदोलन के लिए नहीं होने दिया जाएगा. अगर वहां धरना-प्रदर्शन आयोजित किए गए तो पुरानी दिल्ली के लोगों को काफी मुसीबतें झेलनी पड़ सकती हैं और इसके चलते वहां तनाव की स्थिति पैदा हो सकती है. तो वहीं, रामलीला मैदान का इलाका काफी पहले से भीड़ भरा इलाका है, साथ ही इसके नजदीक में तीन बड़े अस्पताल हैं, ऐसे में रामलीला मैदान का इलाका धरना प्रदर्शन के लिए नही दिया जा सकता.
नॉर्थ एमसीडी मेयर प्रीति अग्रवाल के अनुसार एमसीडी के गठन के समय से ही रामलीला मैदान उसके अधीन रहा है. मुगलकाल से इस मैदान पर रामलीला का आयोजन किया जा रहा है. इसके अलावा इस मैदान का इस्तेमाल कई ऐतिहासिक आयोजनों के लिए भी होता रहा है. ऐसे में यहां पूरे साल धरना-प्रदर्शन की इजाजत कैसे दी जा सकती है. उन्होंने कहा कि रामलीला मैदान पुरानी दिल्ली के खासे भीड़भाड़ इलाके में हैं. ऐसे में यहां आंदोलन शुरू हुए तो स्थानीय लोगों को खासी परेशानी झेलनी पड़ेगी. इसके अलावा यहां ट्रैफिक जाम व अन्य समस्याएं भी खड़ी हो जाएंगी.
तो वहीं कुछ लोगों ने मिलकर जंतर-मंतर संघर्ष समिति का गठन किया गया जिसको लेकर वो एनजीटी में गए, लेकिन वहां उन्हें निराशा हाथ लगी. लेकिन अब वो हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. उनका कहना है एनजीटी ने प्रदुषण को लेकर कई आदेश दे चुकी है जिसमें यमुना सफाई से लेकर गुटखा बैन तक मामला है, जब उसे अभी तक अमल में लाया नही जा सका तो फिर पुलिस इस मामले को लेकर इतनी जल्दबाजी में क्यों है.
रामलीला मैदान का इलाका करीब 12 एकड़ में फैला हुआ है. इसके एक तरफ पुरानी दिल्ली की आबादी है, तो एक ओर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन जैसे महत्वपूर्ण स्थल. एमसीडी इसे 50000 प्रतिदिन के हिसाब से किराये पर देती है, ऐसे में एमसीडी इस मैदान से और राजस्व पाने के लिए मैदान को चार भागों में बांटने पर भी विचार कर रही है, ताकि वहां पुरानी दिल्ली के लोग विवाह आदि आयोजन कर सकें.