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अब सफाई कर्मचारियों को मोबाइल फोन देगी नॉर्थ-एमसीडी

दिल्ली में एमसीडी चुनाव के मद्देनजर उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने शुक्रवार को अपने संशोधित बजट में कई प्रस्ताव रखे. इनमें सबसे महत्वपूर्ण है कि अब सफाई कर्मचारियों को मोबाइल फोन दिए जाएंगे, जिसके जरिये लोग अपने वार्ड में गंदगी दिखने पर इलाके के एमसीडी सफाई कर्मचारी को फोन कर बुला सकते हैं.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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दिल्ली में एमसीडी चुनाव के मद्देनजर उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने शुक्रवार को अपने संशोधित बजट में कई प्रस्ताव रखे. इनमें सबसे महत्वपूर्ण है कि अब सफाई कर्मचारियों को मोबाइल फोन दिए जाएंगे, जिसके जरिये लोग अपने वार्ड में गंदगी दिखने पर इलाके के एमसीडी सफाई कर्मचारी को फोन कर बुला सकते हैं. सफाई कर्मियों के लिए मोबाइल फोन के अलावा अवैध निर्माणों का नियमन, उत्तरी दिल्ली में मेडीसिटी की स्थापना और इलाके में दो अंग्रेजी भाषा की प्रयोगशालाएं खोलना शामिल है.

नॉर्थ एमसीडी का चुनावी तोहफा
राजधानी दिल्ली में तीनों नगर निकायों में इस साल की शुरुआत में चुनाव होने हैं और बीजेपी-शासित तीनों निकाय सभी संभावित विकल्पों से मतदाताओं को लुभाना चाहते हैं. वित्त वर्ष 2016-17 के संशोधित बजट प्रस्तावों और 2017-18 के अनुमानित बजट को निगम की स्थायी समिति के चेयरमैन प्रवेश वाही ने शुक्रवार को सदन में पेश किया. बजट में विभिन्न विभागों के लगभग 6000 दैनिक श्रमिकों को खाली पड़े पदों के बदले नियमित करने का भी प्रस्ताव है. बजट प्रस्ताव के अनुसार मास्टर प्लान 2021 के प्रावधानों के तहत 8 फरवरी, 2007 तक के अवैध निर्माणों और 1 जून, 2014 तक के ग्रामीण क्षेत्रों के निर्माणों को नियमित किया जाएगा. इसके लिए आवश्यक शुल्क लगाया जाएगा, जिससे निगम को 200 करोड़ की अतिरिक्त आय होने की उम्मीद है.

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दैनिक श्रमिकों का होगा बीमा
बजट के संशोधित प्रस्ताव में इन योजनाओं के अलावा अंबेडकर आवास योजना के तहत उन्हें आवंटित फ्लैटों को फ्रीहोल्ड करना, दैनिक श्रमिकों को जीवन बीमा और हर वार्ड में महिलाओं के लिए दो शौचालय ब्लॉक एवं अलग प्रकार से सक्षम लोगों के लिए एक शौचालय ब्लॉक का निर्माण वगैरह शामिल है.

कहां से आएगा पैसा?
पूर्वी दिल्ली म्युनिसिपैलिटी की हड़ताल खत्म हुए अभी हफ्ता भी नहीं बीता है और इलाके में जगह जगह कूड़े के ढेर पड़े हैं. अभी तक उत्तरी और पूर्वी दिल्ली एमसीडी के पास कर्मचारियों को तनख्वाह देने के पैसे नहीं थे और अब घोषणाओं का पिटारा खोल दिया गया है. इन तमाम योजनाओं को अमली जामा पहनाने का पैसा कहां से आएगा... इस बारे में जब हमने स्थायी समिति के चेयरमैन प्रवेश वाही से पूछा, तो उन्होंने जवाब दिया- पैसा नहीं चाहिए, नीयत चाहिए. देखना है नीयत से बीजेपी तीसरी बार अपने वायदे पूरे कर एमसीडी की सत्ता में आ पाती है या नहीं.

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