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टैंकर और प्रीमियम बस के बाद नंबर प्लेट स्कैम के आरोपों से घिरी केजरीवाल सरकार

वाटर टैंकर और प्रीमियम बस घोटाले के बाद अब बीजेपी ने हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट की खरीद और उसे लगाने में हुई गड़बड़ियों के मामले में घेर लिया है.

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नए-नए आरोपों से घिर रही है केजरीवाल सरकार
नए-नए आरोपों से घिर रही है केजरीवाल सरकार

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वाटर टैंकर और प्रीमियम बस घोटाले के बाद अब बीजेपी ने हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट की खरीद और उसे लगाने में हुई गड़बड़ियों के मामले में घेर लिया है. बीजेपी का आरोप है कि हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने वाली कंपनी ने सरकार के लोगों के साथ मिलकर साढ़े चार सौ करोड़ रुपये का घोटाला किया है.

शर्तों के मुताबिक काम नहीं कर रही थी कंपनी
बीजेपी का आरोप है कि 49 दिन की सरकार के दौरान केजरीवाल सरकार को हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने वाली कंपनी रोजमेर्टा की गड़बड़ियों की जानकारी मिल गई थी और तब की सरकार ने एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी भी बनाई थी. इस कमेटी की रिपोर्ट में भी कंपनी घटिया नंबर प्लेट सप्लाय करने की दोषी पाई गई थी. साथ ही एग्रीमेंट की शर्तों के मुताबिक काम नहीं करने की दोषी भी पाई गई थी.

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कंपनियों को मिली बाजार दर से पांच गुनी रकम
यही नहीं कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में ये भी लिखा था कि कंपनी ने कारों की नंबर प्लेट के लिए 1200 रुपये प्रति प्लेट के हिसाब से चार्ज किया, जो तय दरों से पांच गुना तक ज्यादा थी. दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता हरीश खुराना के मुताबिक रिपोर्ट में गड़बड़ी उजागर होने के बाद भी कंपनी का कान्ट्रैक्ट रद्द नहीं किया गया, बल्कि दूसरी बार सत्ता में आने के बाद भी कंपनी का कॉन्ट्रैक्ट केजरीवाल सरकार ने जारी रखा.

450 करोड़ रुपये का घोटाला
दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता हरीश खुराना ने कहा कि 15 महीने में 450 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है. ये पैसा या तो कंपनी की जेब में गया या फिर आम आदमी पार्टी के लोगों की जेब में. इसकी जांच होनी चाहिए. ये घोटाला है, क्योंकि सरकार को गड़बड़ियों का न सिर्फ पता था, बल्कि खुद इनकी बनाई कमेटी की रिपोर्ट में ये साबित भी हो गया था.

इस मामले में दिल्ली के परिवहन मंत्री सत्येंद्र जैन का कहना है कि उन्होंने हाल ही में विभाग संभाला है. इसलिए उनको पूरे मामले की जानकारी नहीं है, लेकिन जल्दी ही वो इस बारे में पता करेंगे. मंत्री भले ही अनजान हैं, लेकिन हमारे पास जो दिल्ली सरकार की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट है, उसके मुताबिक -

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- हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के लिए कांग्रेस सरकार के दौरान 2012 में टेंडर हुआ.

- मार्च 2012 में मैसर्स रोजमेर्टा हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड को गाड़ियों पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने का काम मिला.

- सरकार को इस कंपनी के खिलाफ कई शिकायतें मिलीं.

- 49 दिन की सरकार के दौरान सरकार ने इस कॉन्ट्रैक्ट को लेकर एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बना दी.

- 31 जनवरी 2014 को फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दी.

इस रिपोर्ट के मुताबिक -

- कंसेसनैर कंपनी अनअप्रूव्ड और अनवेरिफाइड सोर्स से हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट ले रही थी.

- इसकी वजह से इस बात की आशंका थी कि ये नंबर प्लेट घटिया हो सकती थीं.

- नंबर प्लेट ऐसे सेंटरों से लगाई जा रही थीं, जो ट्रांसपोर्ट विभाग से अप्रूव्ड नहीं थे.

- नंबर प्लेट के एवज में वाहन मालिकों से ओवरचार्जिंग की जा रही थी. (कार के लिए 1200 रुपये तक और दो पहिया वाहनों के लिए 600 रुपये वसूले जा रहे थे. जो तीन से छह गुना तक थे.)

- कमेटी को ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया को 15 जनवरी को पत्र मिला, जिसके मुताबिक रोजमेर्टा की सहयोगी कंपनी उत्सव सेफ्टी सिस्टम लिमिटेड के conformity of production यानी COD सर्टिफिकेट होल्ड पर डाल दिए गए थे.

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- फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में ये भी लिखा कि उसके पास एक्सपर्टाइज नहीं होने और इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी की वजह से वो कंपनी की कई तकनीकी खामियों की जांच नहीं कर पाई. इसलिए इसकी जांच किसी एक्सपर्ट कमेटी से करायी जाए.

अब बीजेपी सरकार से सवाल कर रही है कि,

- फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट के बाद कंपनी का कॉन्ट्रैक्ट रद्द नहीं किया गया.

- ओवरचार्जिंग का पैसा रिकवर नहीं किया गया. जो 15 महीनों के दौरान करीब 450 करोड़ रुपये हुआ. कंपनी ने 200 रुपये की प्लेट 1200 में लगाई. हर महीने करीब 3 लाख गाड़ियों पर नंबर प्लेट लगाई जाती हैं. अगर इस हिसाब से देखा जाए, तो 15 महीने में आंकड़ा 450 करोड़ पर पहुंचता है. ये पैसा किसकी जेब में गया?

- इसी तरह की गड़बड़ियों के चलते मध्यप्रदेश और सिक्किम की सरकार ने हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट का कान्ट्रैक्ट रद्द कर दिया था.

- सरकार का कहना है कि कंपनी के साथ आर्बीट्रेशन में है, लेकिन आर्बीट्रेशन में कॉन्ट्रैक्ट रद्द करने के बाद जाना चाहिए था.

जाहिर है प्रीमियम बस योजना में गड़बड़ी और टैंकर घोटाले की फाइल दबाने का आरोप झेल रही केजरीवाल सरकार के लिए विपक्ष इस मुद्दे पर भी परेशानी खड़ी कर सकता है.

 

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