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प्रदूषण की वजह से अस्पतालों में लगातार बढ़ रही है मरीजों की संख्या

इस प्रदूषण में सांस लेना यानी बीमारियों को बुलावा देने के बराबर है. स्वस्थ इंसान भी सीने में बचैनी आंखों में जलन और नाकों में इरिटेशन की समस्या से जूझ रहे हैं. अस्पतालों में डॉक्टरों के लिए मरीजों को संभालना मुश्किल हो रहा है.

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लगातार बढ़ रही है मरीजों की संख्या
लगातार बढ़ रही है मरीजों की संख्या

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राजधानी में स्मॉग से लोगों की मुश्किलें दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही हैं. हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 का लेवल सामान्य से कई गुना बढ़ गया है. ये हवा सांस लेने के लिए खतरनाक तो है ही, साथ ही कई बीमारियों को न्यौता दे रही है. इसीलिए आजकल अस्पतालो में मरीजों की संख्या 50 प्रतिशत बढ़ गई है. अस्पताल में एक डॉक्टर 15 से 20 और कभी-कभी उससे भी ज्यादा मरीजों को देख रहा है.

सांस रोग विशेषज्ञ डॉक्टर संदीप नय्यर के मुताबिक इस प्रदूषण ने ना सिर्फ सांस के मरीजों की, बल्कि सामान्य लोगों को भी सांस और फेफड़ों का मरीज बना दिया है. इन दिनों जिस हवा में हम सब सांस ले रहे हैं, उसने हमारे फेफड़ों पर असर डालना शुरू कर दिया है.

डॉक्टर के पास आई 40 वर्षीया मरीज शिखा अरोरा का भी यही कहना है कि इस साल उन्हें ज्यादा परेशानी हो रही है और सीने में बहुत दर्द रहता है. ऐसी हवा में लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया है. इसी तरह 48 वर्षीय ओमप्रकाश भी बेहद परेशान हालत में हॉस्पिटल आये. उन्हें सांस लेने में इतनी परेशानी हो रही थी कि उन्हें डॉक्टर ने भर्ती होने को कह दिया. उन्हें सांस लेने में इतनी तकलीफ हो रही थी कि वो बात भी नहीं कर पा रहे थे.

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कुल मिलाकर इस प्रदूषण में सांस लेना यानी बीमारियों को बुलावा देने के बराबर है. स्वस्थ इंसान भी सीने में बचैनी आंखों में जलन और नाकों में इरिटेशन की समस्या से जूझ रहे हैं. अस्पतालों में डॉक्टरों के लिए मरीजों को संभालना मुश्किल हो रहा है.

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