दिल्ली में नर्सरी दाखिले की दौड़ नए साल के पहले दिन के साथ शुरू हो गई और इस साल सामान्य वर्ग के साथ आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) वर्ग के बच्चों के दाखिले में भीड़ काफी बढ़ने का अनुमान है क्योंकि वंचित वर्ग में अनाथ बच्चों को भी शामिल किया गया है.
इस साल कई स्कूलों ने सामान्य श्रेणी में ऑनलाइन पंजीकरण का विकल्प भी पेश किया है हालांकि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को साझा आवेदन पत्र भरना होगा.
शिक्षा विभाग ने विभिन्न स्कूलों में आवेदन के लिए अलग-अलग आवेदनपत्र भरने की प्रक्रिया से बचने के लिए ‘साझा आवेदनपत्र’ पेश किया है. शिक्षा निदेशालय की वेबसाइट पर साझा आवेदनपत्र डाला गया है.
हाल के शिक्षा सर्वेक्षण में दिल्ली में नर्सरी के दाखिले में भारी संख्या में आवेदनों की बात सामने आई है. दिल्ली में 2012 में नर्सरी कक्षा में दाखिले के लिए प्रति सामान्य सीट के लिए 50 आवेदन आए थे. भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) में दाखिले के लिए प्रति सामान्य सीट पर 61 आवेदन आए थे जबकि यह राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा है.
दिल्ली स्कूल शिक्षा नामांकन बोर्ड ने हाल ही में नर्सरी कक्षा में दाखिले के लिए अधिकतम उम्र के बारे में कुछ सुझाव पेश किया था लेकिन 2013-14 से यह लागू नहीं होगी.
काफी संख्या में अभिभावक नर्सरी में दाखिले की वर्तमान प्रणाली से संतुष्ट नहीं है और इसमें संशोधन कर व्यवस्था को समग्र बनाने की मांग कर रहे हैं. कई स्कूलों में नर्सरी में दाखिले के लिए पूर्व छात्र के बच्चों को 100 प्वायंट में से 15 से 30 प्वायंट तक दिए जा रहे हैं जिससें काफी अभिभावक असंतुष्ट हैं.
छह से 14 वर्ष के बच्चों को नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के तहत समाज के कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए 25 प्रतिशत सीट रखने की बात कही गई है. दिल्ली के निजी स्कूलों में दाखिले के लिए इस कसौटी को पूरा करना भी अहम चुनौती होगी.
राष्ट्रीय राजधानी के स्कूलों में नर्सरी में दाखिले के लिए 15 जनवरी तक पंजीकरण कराये जा सकते हैं. दाखिले के लिए पहली सूची 15 फरवरी को और दूसरी सूची 28 फरवरी को जारी हो सकती है. दाखिले के लिए बच्चे के जन्म प्रमाणपत्र और पते के साक्ष्य महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं. पते के साक्ष्य के तौर पर आधार कार्ड को स्वीकार किया जायेगा.
अगर बच्चे का केवल एक अभिभावक हो तो इसके लिए प्वायंट निर्धारित किया गया है जबकि लड़कियों को भी दाखिले में तवज्जो देते हुए प्वायंट रखे गए हैं. अगर अभिभावक में से किसी ने उस स्कूल में पढा़ई की है तो इसके लिए भी प्वायंट रखे गए हैं. अशक्त बच्चों के लिए भी प्वायंट हैं.