दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में शुक्रवार को करीब 5,000 नर्सें छुट्टी पर हैं. उनका कहना है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गई तो वो अनिश्चितकाल हड़ताल करेंगी.
कर्मचारी चाहते हैं कि कोई स्थाई समाधान निकाला जाए. उनका कहना है कि अगर डाक्टरों को सातवें वेतन आयोग का लाभ मिल सकता है तो हम कर्मचारियों को क्यों नहीं? नर्सों के एक साथ अवकाश पर चले जाने से अस्पताल में आपातकालीन सेवाएं प्रभावित हैं और लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि ओपीडी तथा अन्य चिकित्सा सेवाएं नियमित रूप से जारी हैं.
27 मार्च से अनिश्चितकाल हड़ताल पर
कर्मचारियों के यूनियन नेता हरीश का कहना है कि हमनें 15 दिन पहले ही अस्पताल में नोटिस दे दिया था कि सभी कर्मचारी शुक्रवार यानी 17 मार्च को एक दिन कि छुट्टी पर रहेंगे. अब
आज बात नहीं बनी तो हम 27 मार्च को एक बार फिर हड़ताल पर जाएंगे. उनका कहना है कि मरीज़ों को अगर तकलीफ है तो अस्पताल को सोचना चाहिए.
क्या है मांगे ?
कर्मचारियों की कुल मिलाकर दो सबसे महत्वपूर्ण मांगे हैं. पहली ये कि वेतन भत्ते में बढ़ोतरी की जाए. इसे बढ़ाकर 7800 रुपये किया जाए. दूसरा पे स्केल को 4800 से बढ़ाकर 5400 रुपये
किया जाए. अगर कर्मचारियों की मांगे नहीं मानी गईं तो स्थिति खराब हो सकती है. क्योंकि एम्स एक ऐसा अस्पताल है जहां देशभर से लोग इलाज करवाने आते हैं और ऐसे में हड़ताल से
हज़ारों मरीज़ों को परेशानी होगी.