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CJI के रूप में कैसे याद किए जाएंगे रिटायर्ड जस्टिस एनवी रमना?

नातुलापति वेंकट रमना, जिन्हें हम एनवी रमना कहते हैं. उनका जन्म आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पुन्नावरम गांव में हुआ. एक किसान परिवार में पले-बढ़े एनवी रमना विज्ञान और कानून में ग्रेजुएट हैं. अपने परिवार में पहली पीढ़ी के वकील रमना ने करियर की शुरुआत में एक तेलुगु अखबार के लिए साल भर काम किया.

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एनवी रमना का जन्म आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पुन्नावरम गांव में हुआ.
एनवी रमना का जन्म आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पुन्नावरम गांव में हुआ.

देश के नए चीफ जस्टिस कौन हुए और अभी हाल ही में किस का कार्यकाल पूरा हुआ, ये प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले बहुविकल्पीय सवालों से आगे बढ़कर भी बहुत कुछ है. जैसे किसी सरकार का कार्यकाल पूरा होने पर उसका, उसके मुखिया का मूल्यांकन होता है. अदालतों के न्यायाधीशों का भी ठीक उसी तरह होना चाहिए. ऐसा नहीं कि होता नहीं, होता है लेकिन आम लोगों तक वो बात सीधी-सादी जुबान में थोड़ी कम पहुंच पाती है. एनवी रमना 24 अप्रैल 2021 से 26 अगस्त 2022 तक, 490 दिन देश के मुख्य न्यायधीश रहे. 

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कुल मिलाकर, उनका कार्यकाल कैसा रहा, इस पर आने से पहले सनद रहे कि चीफ जस्टिस एनवी रमना ने जिस वक़्त मुख्य न्यायाधीश की कुर्सी सम्भाली थी, कोविड शुरू हो गया था. ऑक्सीजन के लिए मारामारी थी, अस्पतालों के बाहर लोगों की लंबी चौड़ी कतारें थीं, लोग इस अव्यवस्था से पार पाने के लिए निचली और ऊपरी अदालतों का रुख़ कर रहे थे. बतौर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने ऐसी परिस्थिति में केंद्र को ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराने के लिए कई बार टोका और कुछ अहम सुझाव दिए.

किसान परिवार से सुप्रीम कोर्ट तक

नातुलापति वेंकट रमना, जिन्हें हम एनवी रमना कहते हैं. उनका जन्म आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पुन्नावरम गांव में हुआ. एक किसान परिवार में पले-बढ़े एनवी रमना विज्ञान और कानून में ग्रेजुएट हैं. अपने परिवार में पहली पीढ़ी के वकील रमना ने करियर की शुरुआत में एक तेलुगु अखबार के लिए साल भर काम किया. इसके बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट, केंद्रीय प्रशासनिक ट्राइब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की. आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के पहले परमानेंट जज, फिर एक्टिंग चीफ जस्टिस होते हुए वे दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने. और आख़िर में, 17 फरवरी 2014 को वे सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त हुए. आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के वे पहले ऐसे जज थे जो सीजेआई बने.

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उपलब्धि : 250 से अधिक जजों के नियुक्ति की सिफ़ारिश

CJI रमना की उपलब्धियों पर इंडिया टुडे पॉडकास्ट से बातचीत में नालसार यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के वाइस चांसलर रहे लीगल स्कॉलर फैज़ान मुस्तफ़ा कहते हैं- 'भारत के किसी भी मुख्य न्यायाधीश के कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट के 11 जजों का एप्वाइंटमेंट नहीं हुआ. ये अपने आप में बहुत बड़ा काम था. आज की सर्वोच्च अदालत में तकरीबन एक तिहाई जज एनवी रमना की अगुवाई वाली कॉलेजियम की सिफारिशों के बाद नियुक्त किए हुए हैं'.

सीजेआई रमना के नेतृत्व वाली कॉलेजियम ने न सिर्फ़ सुप्रीम कोर्ट बल्कि हाईकोर्ट के लिए 250 से अधिक जजों की नियुक्ति की सिफ़ारिश की. साथ ही जिस तरह सुप्रीम कोर्ट में तीन महिला जजों की नियुक्ति हुई है, वह अपने आप में नज़ीर है क्योंकि इनमें से एक नाम ऐसा है जो भविष्य में देश की पहली महिला CJI हो सकती हैं.

CJI एनवी रमना के कार्यकाल के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सेडिशन यानी राजद्रोह वाले मामले पर एक अहम टिप्पणी की और अंतरिम आदेश भी दिया. राजद्रोह कानून को अंग्रेज़ों के ज़माने का बेरहम कानून बताते हुए इसको पूरी तरह ख़त्म करने की मांग की. यह उल्लेखनीय आदेश था क्योंकि कोर्ट ने इसके बाद राजद्रोह कानून को अगली सुनवाई तक होल्ड पर रख दिया जिसके मुताबिक राजद्रोह के तहत अब नए मामले दर्ज़ नहीं किए जा सकते. साथ ही, यह स्पष्ट कर दिया कि केंद्र इस कानून पर नए सिरे से विचार करेगी.

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जहां निराशा हाथ लगी…

हालांकि कुछ आलोचना के स्वर भी हैं. फैज़ान मुस्तफ़ा कहते हैं कि संविधान पीठ के सामने बहुत से मुद्दे जाने चाहिए थे लेकिन उस लिहाज़ से कुछ ख़ास ठोस काम नहीं हुआ. कई बड़े और अहम मुद्दे जैसे धारा 370, सीएए यानी नागरिकता संशोधन कानून की संवैधानीकता का मुद्दा या फिर इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे मसलों पर संवैधानिक पीठ का गठन नहीं होना, मायूस करता है. 

हालांकि, फैज़ान साहब इसके एक और पहलू से हमारा परिचय कराते हैं. वे कहते हैं चूंकि संवैधानिक पीठ के गठन में जटिलताएं भी होती हैं, पांच जजों को किसी एक ख़ास विषय के लिए चुन लेने से कोर्ट के दूसरे काम प्रभावित होते हैं. लिहाज़ा, चीफ जस्टिस के पास एक व्यवहारिक उलझन होती है कि वो कैसे कम संसाधनों और मामलों के बीच तालमेल बिठाएं. 

CJI एन वी रमना को जिस बात का मलाल रहा!

फैज़ान मुस्तफ़ा कहते हैं कि अपने कार्यकाल के दौरान CJI एन वी रमना 'नेशनल ज्यूडिशियल इंफ्रास्ट्रक्चर कॉर्पोरेशन' बनाना चाहते थे. जिससे न्यायिक सुविधाएं बेहतर हो सके. साथ ही, आम आदमी को आसानी से न्याय मिल सके. ये उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था. लेकिन इस सिलसिले में केंद्र सरकार की तरफ से जितनी तेजी की दरकार थी, वो नहीं हुई. वहीं, केंद्र सरकार का कहना है कि इसमें राज्य सरकारों का जितना सहयोग मिलना चाहिए था, वो नहीं मिला इसलिए ये प्रोजेक्ट अधूरा रह गया.

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कुल जमा निचोड़ ये है कि एन वी रमना ने लोगों की स्वतंत्रता को लेकर, जज और आबादी के बीच एक उचित अनुपात बिठाने के लिहाज़ से ढेरों ज़रूरी बातें कहीं और कई बार तो बिन लाग लपेट के. जिसकी मुक्त कंठ से सराहना भी हुई और आलोचना भी. फैज़ान मुस्तफ़ा कहते हैं कि उनका कार्यकाल न्यायपालिका के लिहाज़ से एक अच्छा समय रहा लेकिन चूंकि उन्होंने बहुत कुछ कहा था, सो उनसे उम्मीदें काफ़ी ज़्यादा हो गईं थी, लिहाज़ा, उस वजह से तनिक निराशा हुई. अब अगले मुख्य न्यायाधीश यू. यू. ललित होंगे. कई मामलों में जो एक बुनियाद CJI एन. वी. रमना ने रखी है, अगले CJI यूयू ललित के लिए उनको तामीर करने का एक अवसर होगा.

 

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