ऑफिस ऑफ प्रॉफिट केस में दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा है कि दिल्ली के 20 विधायक अपने केस से जुड़े जिन गवाहों का क्रॉस एग्जामिनेशन करना चाहते हैं, उसकी इजाजत चुनाव आयोग क्यों नहीं दे रहा?
हाईकोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग को नोटिस भी जारी किया है जिस पर आयोग को कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करना होगा कि आखिर 20 विधायकों की क्रॉस एग्जामिनेशन को लेकर लगाई गई अर्जी को उसने क्यों खारिज किया?
फिलहाल दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि कोर्ट में होने वाली अगली सुनवाई यानि 1 नवंबर तक इस मामले में सुनवाई चुनाव आयोग ना करें. दरअसल आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की तरफ से चुनाव आयोग में अर्जी लगाई गई थी कि दिल्ली सरकार के अधीन काम करने वाले कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट केस में बतौर गवाह बुलाकर क्रॉस एग्जामिनेशन कराने की जरूरत है.
चुनाव आयोग ने विधायकों की अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि इस मामले में सरकार से जुड़े ब्यूरोक्रेट्स और कर्मचारियों के क्रॉस एग्जामिनेशन की जरूरत नहीं है क्योंकि ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के इस पूरे केस में जिस तरह के दस्तावेज और सबूत चुनाव आयोग के पास है उसमें किसी व्यक्ति विशेष की गवाही का कोई महत्व नहीं है.
चुनाव आयोग से खारिज हुई अर्जी को आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिस पर सुनवाई करते हुए अब हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर इस मामले में अपना स्पष्टीकरण देने को कहा है.
'हम मामूली सा अधिकार मांग रहे'
हाईकोर्ट के फैसले पर विधायक आदर्श शास्त्री ने कहा कि आज हाईकोर्ट में डेढ़ घंटे तक लंबी बहस चली. कोर्ट ने अगली तारीख एक नवंबर तक दी है और तब तक चुनाव आयोग कोई कार्रवाई नहीं करेगा. हम शुरुआत से ही यह कहते आए हैं कि आयोग ने जिस आधार पर गलत फैसला लिया, जिन लोगों ने कागज में बयान दिया उन लोगों से हम सवाल-जवाब करना चाहते हैं. हम मामूली सा अधिकार मांग रहे हैं.
एक अन्य विधायक मदन लाल ने भी इस फैसले पर खुशी जताते हुए कहा कि सवाल-जवाब की लिस्ट में जीएडी विभाग, विधानसभा के कुछ कर्मचारी, सचिवालय के कुछ कर्मचारियों ने चुनाव आयोग को लिखित में बयान दिए हैं. ये बेहद जरूरी है कि उन तमाम लोगों से सवाल-जवाब किया जाए क्योंकि उन कागजों में लाभ का पद साबित नहीं होता. इसलिए कोर्ट और चुनाव आयोग के सामने कई बातें साफ होना जरूरी है. आयोग के सामने हम खुद को निर्दोष साबित करना चाहते हैं लेकिन आयोग बड़ी जल्दबाजी में है.
इससे पहले मार्च में दिल्ली हाईकोर्ट ने 20 विधायकों की सदस्यता को रद्द करने के आयोग के फैसले को रद्द कर दिया था. हाईकोर्ट ने उस वक्त आयोग को निर्देश दिया था इन सभी विधायकों को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के केस में अपना पक्ष दोबारा रखने का मौका दिया जाए.
उसके बाद से ही आयोग इस मामले की लगातार सुनवाई कर रहा है जिसमें आम आदमी पार्टी के 20 विधायक कुछ और गवाहों का क्रॉस एग्जामिनेशन इस मामले में चुनाव आयोग के सामने कराना चाहते हैं.