केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की पत्नी को सरकारी बंगला नहीं दिया जा सकता है. इसके पीछे केंद्र ने तर्क दिया है कि किसी भी गैर सरकारी व्यक्ति को बंगला इस आधार पर नहीं दिया जा सकता कि उसे Z श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई है. उमर की पत्नी का सरकार से लेना-देना नहीं है. इसलिए उन्हें बंगला देने का कोई आधार नहीं है.
जम्मू कश्मीर सरकार ने भी अपना जवाब हाईकोर्ट को देते हुए कहा है कि खुद उमर अब्दुल्ला भी दिल्ली के निजामुद्दीन के घर में Z+ सुरक्षा के साथ रहे हैं. ऐसे में ये कहना कि सुरक्षा सिर्फ टाइप 8 बंगले में भी संभव है, पायल अब्दुल्ला की ये बात सिर्फ बंगला खाली न करने का एक बहाना भर है. केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकार दोनों ने हाईकोर्ट को कहा है की पायल अब्दुल्ला की याचिका खारिज की जाए. हाईकोर्ट अगली सुनवाई 4 अगस्त को करेगा.
हाईकोर्ट ने मांगा था केंद्र और राज्य से जवाब
उमर अब्दुल्ला की पत्नी पायल अब्दुल्ला की याचिका पर पिछली सुनवाई पर हाईकोर्ट ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकार को नोटिस देकर जवाब मांगा था. पायल अब्दुल्ला ने याचिका लगाई थी कि दिल्ली के 7 अकबर रोड के टाइप 8 बंगले को सुरक्षा कारणों से खाली न कराया जाए. पायल और उनके 2 बेटे फिलहाल दिल्ली के इस बंगले में रह रहे हैं. उमर अब्दुल्ला जब 1999 मे मंत्री बने तो ये बंगला उन्हें दिया गया था और जब वो मंत्री नहीं थे तो भी सुरक्षा कारणों से बंगला खाली नहीं कराया गया था.
पायल ने कहा- छोटे बंगले में रहना मुश्किल
पायल ने अपनी याचिका मे कहा है कि सुरक्षा के लिए उनको Z सिक्योरिटी और बेटों को Z प्लस सिक्योरिटी दी गयी है, जिसमें करीब 94 सुरक्षा कर्मी है, अगर उनसे टाइप 8 बंगला खाली करवा लिया जाता है तो इतने सुरक्षाकर्मियों के लिए छोटे बंगले मे रहना मुश्किल है. वहीं केंद्र सरकार ने इस आधार पर बंगला खाली करने का आदेश दिया था की अब उमर अब्दुल्ला सरकार मे नहीं है. बता दें कि उमर अब्दुल्ला और उनकी पत्नी पायल साल 2011 से अलग रह रहे हैं.