आठ साल पहले मानसिक रूप से अशक्त एक लड़की से छेड़खानी करने वाले एक व्यक्ति को दिल्ली की एक अदालत ने छह महीने की कैद की सजा सुनाई. इससे पहले अदालत ने उसकी एक साल के कारावास की सजा घटा दी थी.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पवन कुमार जैन ने दिल्ली निवासी राज कुमार के प्रति उदार रुख अपनाया और उसे सुनाई गई एक साल के कारावास की सजा घटाकर छह महीने कर दी. उन्होंने कहा कि वह पिछले आठ साल से मुकदमे की वेदना का सामना कर रहा है.
न्यायाधीश ने राज की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा, ‘इसमें कोई शक नहीं कि अपीलकर्ता (राज) मानसिक रूप से अशक्त महिला के साथ छेड़खानी करने के अपराध में शामिल पाया गया लेकिन यह भी सच है कि वह पिछले आठ साल से अधिक समय से मुकदमे की वेदना का सामना कर रहा है और उसका कोई पुराना आपराधिक रिकॉर्ड नहीं रहा है. इसलिए मेरी राय है कि अपीलकर्ता कुछ उदारता बरते जाने का हकदार है.’ न्यायाधीश ने कहा, ‘इसलिए मैं उसकी एक साल के सश्रम कारावास की सजा को घटाकर छह महीने करता हूं.’ राज ने अपनी दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ एक साल के कारावास की सजा सुनाई थी. उसने कहा था कि मजिस्ट्रेट अदालत यह समझने में विफल रही कि पीड़िता ने उनके खिलाफ एक भी शब्द नहीं कहा था.
अदालत ने उसकी इस दलील को खारिज कर दिया कि मुकदमे के दौरान पीड़ित को अभियोजन पक्ष गवाह के तौर पर लाया था और उससे कुछ सवाल पूछने के बाद मजिस्ट्रेट ने महसूस किया कि वह सवाल को समझने में सक्षम नहीं है और इसलिए वह गवाही देने के लिए सक्षम गवाह नहीं है. अदालत ने कहा, ‘आईएचबीएएस की रिपोर्ट रिकॉर्ड में है जिसमें यह कहा गया है कि पीड़िता साइकोसिस की मरीज थी और उसे कुछ सप्ताह के लिए अस्पताल में भर्ती किए जाने की आवश्यकता है.’
अदालत ने कहा, ‘इन परिस्थितियों में पीड़ित का परीक्षण नहीं किया जाना किसी भी तरीके से अपीलकर्ता के लिए मददगार नहीं है. चूंकि, पीड़ित मानसिक रूप से ठीक नहीं थी इसलिए वह अपनी सहमति देने में सक्षम नहीं थी.’ पुलिस के अनुसार यह घटना अक्तूबर 2004 में हुई जब दरियागंज इलाके में तैनात दो कांस्टेबलों को रात में राहगीरों ने सूचित किया कि समता स्थल के पीछे झाड़ियों में दो लोग एक लड़की के साथ अश्लील हरकत कर रहे थे.