देश में टैक्स सुधारों के लिए अहम और जरूरी कदम के तौर पर प्रचारित किए गए GST को लागू हुए 1 माह से अधिक का समय बीत चुका है. ऐसे में इस पूरे एक महीने के दौरान व्यापारियों और आमजनों के अनुभव को जानने के लिए आजतक की टीम ने पूरी दिल्ली में लोगों से बातचीत की.
ट्रेड एसोसिएशन से अतुल भार्गव के अनुसार GST के तहत सिस्टम शुरू तो हो गया लेकिन मार्केट बहुत मंदा है. इसके अलावा अलग-अलग सेक्टर में अलग-अलग टैक्स स्लैब होने की वजह से कुछ उलझनें अभी भी बरकरार हैं. पुराने माल पर एमआरपी बढ़ाये बिना GST के साथ बिलिंग करने में दिक्कतें देखी जा रही हैं.
सर्विस सेक्टर में रेस्टॉरेंट्स की बात करें तो वहां 9% स्टेट GST और 9% सेंट्रल GST लगाया जा रहा हैं. लोगों ने इसका स्वागत किया है, लेकिन जेन रेस्टोरेंट चला रहे मनप्रीत सिंह कहते हैं कि फूड रेस्टोरेंट्स के अलग-अलग इनपुट और बेनिफिट्स हैं. बार और फूड रेस्टॉरेंट्स को किस केटेगरी के तहत इनपुट मिलेगा इसकी स्पष्टता अभी नहीं है.
बैग्स और फुटवीयर व्यापारी के तौर पर हील्स ग्रुप से जुडे अमित गुप्ता का कहना हैं कि यहां GST के तहत 18% टैक्स लगाया जा रहा है. यहां करीब 40% मार्केट डाउन है. GST रिटर्न्स फाइल करने को लेकर भी मार्केट में आपाधापी है. होलसेल मार्केट में बिलिंग की दिक्कत अधिक देखने को मिल रही है. GST का पूरा फायदा हर जजगह और हर विभाग तक नही पहुंच पा रहा है.
GST के लागू होने के बाद भी व्यापारियों को हर तरह के रजिस्ट्रेशन वगैरह के लिये 2 महीने का समय दिया गया है. एक महीना बीतने के बाद जहां कुछ चीजें साफ हुई हैं तो वहीं बहुत कुछ अभी भी सवालों के घेरे में है.