ऑपरेशन रंगे हाथ...आजतक ने किया है एक बड़ा स्टिंग ऑपरेशन. देश की राजधानी दिल्ली के हर सरकारी महकमे में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार का खुला खेल चल रहा है. जल बोर्ड हो या बिजली घर, बिक्री कर विभाग हो या कोऑपरेटिव सोसायटी, खुलासा ट्रांसपोर्ट विभाग का भी होगा.
आजतक की स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम के 'ऑपरेशन रंगे हाथ' में जो सच सामने आया है, उसे देख-सुनकर आप भी दंग रह जाएंगे. अरविंद केजरीवाल सरकार के जाते ही भ्रष्टाचार का राक्षस फिर से जाग उठा है. बड़े-बड़े विभागों के अफसर घूस की रकम से अपनी जेब गरम कर रहे हैं.
यह चाहे केजरीवाल का असर हो या स्टिंग ऑपरेशन की दहशत, लेकिन जमीनी हकीकत यही है कि केजरीवाल की जब सरकार थी, तो जल बोर्ड से लेकर बिजलीघर, और बिजलीघर से लेकर कचहरी तक, हरे-हरे नोटों का खेल कुछ दिन के लिए बंद हो गया था. सच यह भी है कि नोटों के खेल के साथ-साथ कई लोगों के काम भी बंद हो गए थे.
इधर 14 फरवरी को जैसे ही केजरीवाल ने कुर्सी को तलाक दिया, दलालों की तो जैसे शहर में चांदी हो गई. आरटीओ ऑफिस से लेकर बिजलीघरों के बाहर दलालों की भीड़ लगनी शुरू हो गई. चाहे लाइसेंस बनवाना हो या बिजली का बिल कम करवाना हो या फिर घर पर पानी का टैंकर पहुंचाने की बात हो, जेब से रकम निकालिए और झटपट काम करवा लीजिए.
केजरीवाल की सरकार जाने के बाद देश की राजधानी में आजतक की स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम ने अफसरों और कर्मचारियों के ईमान और इकबाल का 'स्टिंग ऑपरेशन' किया. दिल्ली जल बोर्ड में घुसते ही रिश्वत का सच खुफिया कैमरे के सामने बेपर्दा हो गया.
हमारे खुफिया कैमरे ने दिल्ली के बिजलीघरों में बिलों की माफी की बोलियां नीलाम होते हुए रिकॉर्ड कीं. हथेली गर्म कीजिए और बिल कम कीजिए...
देश की राजधानी में सरकारी तिजोरी को चूना कैसे लगाया जा रहा है, इसकी मिसाल हमें बिक्री कर दफ्तर में मिली. यहां पर टैक्स का पैसा, सरकारी खजाना अफसरों की जेबों में जा रहा है.
दिल्ली में सहकारी सोसायटियों का भी बड़ा खेल है. दिल्ली सरकार के मातहत आने वाले इस दफ्तर में भी बिना पैसे आप कोई कागज हासिल नहीं कर सकते.
घूसखोर अफसरों और कर्मचारियों का हाल यह है कि उन्होंने दफ्तर की मेज पर या सरकारी कैश काउंटर पर ही रिश्वत के नोट खुलेआम गिनने शुरू कर दिए हैं.
जाहिर तौर पर सरकार किसी की आए या किसी की जाए, लेकिन स्टिंग ऑपरेशन में यह बात साफ हो गई कि दिल्लीवालों की जेब कटने का मौसम फिर आ गया है.
जलबोर्ड में नोट-नोट से भरती है अफसरों की जेब
बूंद-बूंद से जलबोर्ड की टंकी भरती है और नोट-नोट से अफसरों की जेब, यही नज़ारा हमारी टीम को उस वक्त दिखा, जब टैंकर बुक कराने के बहाने हम जल बोर्ड के तुर्कमान गेट दफ्तर पहुंचे. इस दफ्तर से जनता-जनार्दन के लिए पानी के टैंकर सप्लाई किए जाते हैं. वैसे तो एक टैंकर के लिए 700 रुपये की सरकारी पर्ची कटती है, लेकिन यहां बिना पर्ची कटाए हजार के हजार रुपये डकार लिए जाते हैं. हम सीधे टकराए जल बोर्ड के बुकिंग क्लर्क पूरन चंद से...
आजतक- कितना पैसा दे दूं आपको....
पूरन चंद- आप जितना मर्ज़ी समझ लीजिए...बस इतना समझ लीजिए, प्राइवेट में आप लेते हो, तो 2500 रुपये से कम में नहीं मिलता और पानी भी उनका बोरिंग का होता है. कई बार बालू-रेत भी आता है.
आजतक- आपका पानी ठीक होगा?
पूरन चंद- अरे नंबर 1 का पानी होता है....
जल बोर्ड के बुकिंग क्लर्क पूरन चंद ने कहा कि उनके जल बोर्ड का पानी नंबर एक का है, यह भी सही है कि उनकी रिश्वत का रेट भी नंबर 1 से कम नहीं है.
आजतक- कितना दे दूं...
पूरन चंद- आप ठीक समझो जैसा...भंडारे का काम है. शादी होती, तो मैं बोल देता, मगर इतनी मेहरबानी हमारे ऊपर कर देना. इतनी मेहरबानी कर लेना.....
आजतक- एक...दो...तीन...चार....
पूरन चंद- इतनी मेहरबानी हमारे ऊपर कर लेना, आप है ना गुनगान किसी को मत करना...
आजतक- ये 2 हज़ार रुपये हैं, ठीक हैं, जितना बाकी आप कहोगे, मैं दे दूंगा आपको...
पूरन चंद- नहीं और नहीं लूंगा. मैं एक भी आपसे....काम आपका हो जाएगा...पर्ची मैं आपको बनवा दूंगा. Monday को बनेगी अब टाइम खत्म हो गया है.
बिजली विभाग में भी जमकर रिश्वतखोरी
जल बोर्ड में रिश्वत जमकर चल रही है, तो बिजली घर में भी घूसखोरी का खुला खेल जारी है. बिजली का बिल माफ कराना हो या कम कराना हो, पैसे से मुमकिन है. लेकिन बिजली विभाग के अधिकारी रिश्वत देने के लिए कैसे जनता को मजबूर करते हैं, आजतक ने इसका भी भंडाफोड़ किया. दिल्ली के सागरपुर इलाके में बिजली घर के एक अधिकारी ने घर की पहली मंज़िल पर मीटर न लगाने का मामला पकड़ा. अधिकारी ने बाद में इस मामले को रफा-दफा करने के लिए डील की.
ट्रांसपोर्ट विभाग भी कुछ पीछे नहीं
ऑपरेशन रंगे हाथ में अब बारी है बिक्री कर विभाग, कोऑपरेटिव सोसायटी, ट्रांसपोर्ट विभाग और दिल्ली में पूर्वोत्तर की डीएम की. आजतक ने स्टिंग ऑपरेशन किया, तो टैक्स पैनल्टी से लेकर, कोऑपरेटिव सोसायटी के पेपर निकालने तक, ट्रांसपोर्ट विभाग से लेकर डीएम दफ्तर तक पैसे का खुला खेल जारी है.
देश की राजधानी दिल्ली में माल से लदे इन ट्रकों की कतार में कई ट्रक ऐसे हैं, जिन्होंने माल तो लोड कर लिया, लेकिन पक्की रसीद नहीं बनवाई. यानी माल पर बिना टैक्स दिए, ये ट्रक दिल्ली के अंदर दाखिल हो रहे थे. आपको जानकर ताज्जुब होगा कि ये ट्रक पकड़े जाने के बाद भी पूरा टैक्स नहीं देते और छूट जाते हैं. ट्रक वाले वैट के उन अफसरों की मुट्ठी गरम करते हैं, और आगे चलते बनते हैं.
आजतक के रिपोर्टर ने घूस के इस खेल को बेनकाब करने के लिए एक ऐसे ही ट्रक का सहारा लिया. अंडरकवर रिपोर्टर वैट दफ्तर का सच जानने कि लिए खुफिया कैमरे के साथ अफसरों से रू-ब-रू हुआ.
दिल्ली सरकार की मातहत आने वाली को-ओपरेटिव सोसायटी में भी अगर आप घूस देने को तैयार हैं, तो अधिकारी सहायता करने में सदैव तत्पर रहते हैं. दिल्ली के पॉश द्वारका इलाके की हाउसिंग सोसायटी का ब्योरा जानने के लिए अंडरकवर रिपोर्टर को सरकार की मुट्ठी गरम करनी पड़ी.