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आज तक के स्टिंग ऑपरेशन में खुलासा, दिल्ली में अब भी घूस देने को मजबूर है आम आदमी

ऑपरेशन आम आदमी, ये स्टिंग ऑपरेशन शत प्रतिशत आम आदमी से जुड़ा है, आम आदमी के नायक केजरीवाल पर फिलहाल कोई सवाल नहीं उठा रहा है. सवाल ना नायक की नीति पर और सवाल ना ही उसकी नीयत पर, लेकिन नायक के नीचे बैठे मातहत कैसे नायक की नीतियों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, ये बेपर्दा हो जाएगा.

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ऑपरेशन आम आदमी
ऑपरेशन आम आदमी

दिल्ली के लोगों ने विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी पर भरोसा दिखाया. आम आदमी के नायक बन गए अरविंद केजरीवाल. उन्होंने 28 दिसंबर को जब दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, तब हर किसी को भरोसा था कि चीजें बदल जाएंगी, भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा.

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केजरीवाल ने रामलीला मैदान में चीख-चीखकर कहा भी था, 'कोई रिश्वत नहीं देगा, भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकना है.' लेकिन आज तक 'ऑपरेशन आम आदमी' के जरिए जो खुलासा हुआ वो बेहद ही चौंकाने वाला है. ऐसा लगता है कि कुछ नहीं बदला. भ्रष्टाचार कायम है और अफसरों की घूसखोरी जारी है.

ऑपरेशन आम आदमी, ये स्टिंग ऑपरेशन शत प्रतिशत आम आदमी से जुड़ा है. आम आदमी के नायक केजरीवाल पर फिलहाल कोई सवाल नहीं उठा रहा है. सवाल न नायक की नीति पर और सवाल न ही उसकी नीयत पर, लेकिन नायक के नीचे बैठे मातहत कैसे नायक की नीतियों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, ये बेपर्दा हो जाएगा.

खुलासा दिल्ली जल बोर्ड का
जल बोर्ड के अध्यक्ष खुद अरविंद केजरीवाल हैं. पहला खुलासा दिल्ली जलबोर्ड के हैदरपुर प्लांट का है. यहां आम आदमी की सरकार आने के बाद भी रिश्वत का खुला खेल जारी है. बिल्डरों के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट को पैसे लेकर यहां चीफ वाटर एनालिसिस और मातहत अधिकारी हथेली गर्म करके कलम चला रहा है.

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विनोद कुमार कोई छोटे-मोटे अफसर नहीं हैं, बल्कि जलबोर्ड के चीफ वाटर एनालिसिस्‍ट हैं और इनका काम पानी की क्वालिटी के साथ-साथ बड़े बड़े प्रोजेक्ट को भी हरी झंडी देना है. आजतक के अंडर कवर रिपोर्टर विनोद साहब के पास एक बिल्डर के मैनेजर बनकर गए. आगे की कहानी पढ़कर आप खुद तय करिए कि कितने पानी में है जल बोर्ड के ये अधिकारी.

विनोद कुमार- अब बताओ कैसे हो.
रिपोर्टर- बस ये है कि आप से मुलाकात हो गई....अच्छा सर मैं बता रहा था हमारी construction company है, हम Basically sub contractor हैं.
विनोद कुमार- हां...
रिपोर्टर- तो जो govt. के प्रोजेक्ट हैं, जैसे डीएलएफ है, दूसरी कंपनी हैं या अंसल है.
विनोद कुमार- अंसल भी है...
रिपोर्टर- हां अंसल भी है, तो उनके जो govt project हैं ये सब contract करते हैं हम.
विनोद कुमार- अच्छा...अच्छा....

आजतक के अंडर कवर रिपोर्टर ने जब कॉन्ट्रैक्टर बनकर बात शुरू की, तो विनोद साहब की दिलचस्पी और बढ़ी. अंडर कवर रिपोर्टर ने विनोद कुमार से प्रोजेक्ट के सैंपल पास कराने की बात छेड़ी.

रिपोर्टर- साफ तौर पर हर महीने आते रहेंगे...तो आपका सहयोग मिलता रहेगा ना....
विनोद कुमार- मिलेगा....मिल जाएगा....सैंपल कोई ऐसी बात नहीं है....
रिपोर्टर- तो सैंपल में खुद लेकर आ जाऊंगा...कोई दिक्कत सर...पानी का सैंपल है वो खुद लेकर आ जाएंगे.
विनोद कुमार- एक आध हफ्ता दिखा देना थोड़ा...फिर उसके बाद consider कर लेंगे, ठीक है.

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अफसर ने जब सैंपल कंसीडर करने के लिए हामी भरी, को अंडर कवर रिपोर्टर की हिम्मत और बढ़ी.

रिपोर्टर- तो coordination हम आप से कर लेंगे और monthly आप बता दीजिए, आपका कितना रहेगा? जो भी आप बताएं...सैंपलवाइज मत बताइये.
विनोद कुमार- नहीं कुछ तो कहकर भेजा होगा उन्होंने...
रिपोर्टर- सर चल क्या रहा है रेट वो तो मैं बता दूंगा....आपका क्या रेट है ये बताइए?
विनोद कुमार- कर लेंगे...जब सैंपल आएंगे...देख लेंगे...
रिपोर्टर- मैं बता देता हूं...जो हम देते हैं....हरियाणा में....हम देते हैं per सैंपल 2,000 रुपए.
विनोद कुमार- ठीक है.
रिपोर्टर- तो हम monthly आपको देते रहेंगे...40 हज़ार से 50 हज़ार रुपए monthly.
विनोद कुमार- हां देते रहेंगे....

केजरीवाल की नाक के नीचे, जो महकमा है, यानी दिल्ली जलबोर्ड, उसका आला अफसर 50 हजार रुपये महीने की खुलेआम बात कर रहा है. सैंपल के खुलेआम रेट लग रहे हैं, और रेट लग रहे हैं ईमान और जमीर के.

रिपोर्टर- हम आपको 20 सैंपल भेजेंगे....5 भी हो सकते हैं...एक lump sum amount 50 हजार रुपये आपको मिलता रहेगा. बस आप पास करते रहिए हमारे सैंपल.
विनोद कुमार- चलो ठीक है.
रिपोर्टर- तो coordinate आपसे ही करना होगा सर....
विनोद कुमार- ACW हैं वो तो खैर कर लेंगे आपस में...
रिपोर्टर- अच्छा...
विनोद कुमार- चलो First time...आ जाना कर लेंगे....

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रिश्वत देने की बात, अब खुलेआम हो रही थी, हमें ऐसा लग रहा था, कि केजरीवाल के डर से कहीं आला अफसर हमें दफ्तर से भगा ना दें, लेकिन यहां तो डील बेखौफ और बेशर्मी के साथ की जा रही है.

रिपोर्टर- कुछ Boss ने भेजा है सर, उसका हिस्सा भेजा है उन्होंने, मैं आपको दे देता हूं सर....
विनोद कुमार- तो सैंपल तो यहीं...दिल्ली के होंगे....
रिपोर्टर- हां...आपके एरिया के हैं सर....सारा आपके एरिया में है...ये 2 हज़ार रुपये हैं सर, यानी कुल मिलाकर 2 हजार रुपये दे दिए सर आपको. 40 हजार रुपये महीने के अंत तक दे दूंगा.
विनोद कुमार- ठीक है.

केजरीवाल साहब ने दिल्ली की जनता को शपथ के समय एक कसम दिलाई थी. हमें सच दिखाने के लिए उस कसम को तोड़ना पड़ा है.

700 लीटर मुफ्त पानी के बहाने भी घूसखोरी
इसके बाद सामने आया वो सच, जो आम आदमी के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सबसे बड़े एलान से जुड़ा है. जी हां 700 लीटर मुफ्त पानी का वादा. जी हां बस आपके पास पैसा होना चाहिए, फिर पानी कितनी भी बहाइये, मीटर 700 लीटर से ऊपर नहीं बढ़ेगा.

दिल्ली वालों को मुफ्त पानी देने का एलान क्या हुआ, कि आम आदमी पानी के मीटर लगाने के लिए जल बोर्ड के चक्कर काटने लगा. पानी मुफ्त मिले ना मिले, लेकिन प्लंबर से लेकर वाटर मीटर के रीडर तक पौं बाराह हो गई. मीटर लगाने की भी रिश्वत और मीटर की रीडिंग करने के लिए भी रिश्वत. लूट का हाल ये है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सचिवालय में काम करने वाला स्टाफ भी जल बोर्ड के कर्मियों को रिश्वत देने को तैयार है. सीएम के एक कर्मचारी ने आज तक के छुपे हुए कैमरे के सामने कबूला कि सचिवालय में काम करने के बावजूद उसने खुद मीटर लगाने के लिए 1500 रुपये दिए हैं, तब उसके घर वाटर मीटर लगा है.

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इसके बाद आज तक की टीम दिल्ली के मयूर विहार इलाके में जल बोर्ड के दफ्तर पहुंचीं. किरायेदार के लिए अलग से पानी के मीटर का कनेक्शन लेने के लिए मीटर रीडर ने एतराज जताया. मीटर रीडर बार-बार मौके पर ना आए, इसलिए, हथेली गर्म करने के अलावा कोई चारा नहीं बचा. दरअसल नियमानुसार किरायेदार के लिए अलग से मीटर लगाना ज़रूरी था लेकिन अगर घूस देने के लिए आप तैयार हैं तो नियम ताक पर रखे जा सकते हैं. पानी का मीटर लगवाना हो, या मीटर की गिनती 700 लीटर प्रतिदिन से कम करनी हो, ताकि आप मुफ्त पानी का फायदा उठा सकें, इसके लिए भी पैसे देते रहिए.

सेल डीड की फोटो कॉपी निकालने पर भी रिश्वत
दिल्ली जलबोर्ड में आज तक की टीम जहां गई, वहीं कोई ना कोई रिश्वत लेने वाला टकराता रहा. हमने सोचा कि जरा रजिस्ट्री ऑफिस चलकर देखें, कि आम आदमी के सरकार आने के बाद, यहां तो आम आदमी नहीं लुट रहा. हम पहुंचे, साउथ वेस्ट दिल्ली के डीसी दफ्तर में. यहां पर मकान की रजिस्ट्री कराने से लेकर, सेल डीड की फोटो कॉपी निकालने पर भी रिश्वत के दाम तय हैं. डीसी के दफ्तर में पटवारी बिना पैसे दिए, कोई कागज निकाल कर नहीं देता, हमने भी एक जमीन की फर्द के कागज निकलवाए, तो पटवारी को 500 रुपये की भेंट चढ़ानी पड़ी. सच तो ये है कि फर्द निकलवाने के लिए सिर्फ 5 रुपये ही देने पड़ते हैं.

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आगे की कहानी और भी मजेदार है. कापसहेड़ा के एसडीएम साहब ने खुद बताया कि फर्द निकलवाने के लिए 5 से 10 रुपये लगते हैं पर जब हमने 500 रुपये की बात कही तो उन्होंने इसकी रसीद लेने की बात कह दी. यानी रिश्वत की भी रसीद.

आरसी के नवीनीकरण के लिए 2 हजार रुपये
हाल बुरा आरटीओ ऑफिस का भी है, जहां आम आदमी की शपथ का सरेआम उल्लघंन हो रहा है. पश्चिम दिल्ली के राजा गार्डन के ट्रांसपोर्ट ऑथोरिटी के दफ्तर जब आज तक का अंडर कवर रिपोर्टर मोटरसाइकिल का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट यानी आरसी बनवाने पहुंचा तो घूसखोरी के कई राज सामने आ गए. आरटीओ ऑफिस में काम करने वाले डाटा ऑपरेटर ने हमारे रिपोर्टर से साफ-साफ कहा कि यूं तो आरसी के नवीनीकरण के लिए साढ़े पांच सौ रुपये फीस लगेगी, लेकिन बिना इंश्योरेंस के अगर जल्दी चाहिए तो 2 हजार रुपये लगेंगे.

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वैट रजिस्ट्रेशन के लिए 5000 रुपये घूस
सेल्स टैक्स के दफ्तर का भी कुछ ऐसा ही हाल था जहां हमें अपनी फर्म का वेट रजिस्ट्रेशन करवाना था, लेकिन यहां जो सच्चाई सामने आयी, बेहद ही चौंकाने वाली थी, यहां हमें अधिकारी तो नहीं मिले, लेकिन स्वागत के लिए एंजेट जरूर मिल गये. रजिस्ट्रेशन कराने के लिए यूं तो फीस 5500 रुपये हैं, लेकिन एजेंट खुलेआम 10 हजार से ज्यादा मांग रहा था. यानी 5500 की फीस और 5 हजार काम कराने की रिश्वत.

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