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ऑपरेशन केजरीवाल: सचिवालय में भ्रष्‍टाचार की फाइलें फाड़ने में जुटे अधिकारी

दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान होने में अभी केजरीवाल को कुछ वक्त और लगेने वाला है. लेकिन दिल्‍ली सचिवालय में तो वक्त से पहले ही तमाम कुर्सियां हिलने लगी हैं.

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देश की राजधानी दिल्‍ली में सत्ता बदल गई है, सत्ता के साथ सचिवालय में नजारे भी बदलने लगे हैं. इसी के साथ हुक्मरानों की नीयत और नीति भी बदलने लगी है. शीला दीक्षित 15 साल तक दिल्‍ली पर राज करने के बाद अब सत्ता के मुख्यालय से रुखसत हो चुकी हैं. दिल्‍ली में राजनीति ने एक नई करवट ली है और नए मुख्‍यमंत्री बनने जा रहे अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार विरोधी लहर पर सवार होकर मुख्‍यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे हैं और आगे भी वे भ्रष्‍टाचार से लड़ने का दावा कर रहे हैं.

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मुख्‍यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान होने में अभी केजरीवाल को कुछ वक्त और लगने वाला है. लेकिन दिल्‍ली सचिवालय में तो वक्त से पहले ही तमाम कुर्सियां हिलने लगी हैं. आज तक को पता लगा कि जाते हुए मंत्रियों के स्टाफ और कई गोपनीय विभागों में फाइलें और दस्तावेज खत्म किए जा रहे हैं. चुन-चुनकर फाइलों से कागज निकालकर फाड़े जा रहे हैं और अफसरों की मेजें और आलमारियां साफ की जा रही हैं.

आज तक की खुफिया टीम कैमरा लेकर जैसे ही शीला सरकार के एक दबंग मंत्री अरविंदर सिंह लवली के दफ्तर में घुसी, तो वहां का नजारा चौंकाने वाला था. दिल्ली सचिवालय में अरविंदर सिंह के ऑफिसर ऑन स्‍पेशल ड्यूटी (ओएसडी) नवानी के ऑफिस में भ्रष्‍टाचार मिटाने वाले झाड़ू से सबूतों को मिटाया जा रहा है. लवली तो दिल्‍ली सचिवालय से आउट हो चुके हैं, लेकिन ओएसडी साहब का स्टाफ फाइलों की सफाई में जुटा हुआ है.

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फाइलों की सफाई में व्‍यस्‍त लवली के ओएसडी आज तक की टीम को देखकर पहले तो सकपका गए. फिर कुछ देर संभलकर उन्‍होंने खुद को नॉर्मल किया. जब उनसे पूछा गया कि दफ्तर में फाइलें क्यों फाड़ी जा रही हैं तो ओएसडी साहब बिल्कुल अनजान बन गए. उनके सहयोगी सफेद झूठ पर उतर आए. उन्होंने कहा कि दफ्तर में कोई फाइल नहीं फाड़ी जा रही है. शायद उन्हें ये मालूम ही नहीं था कि सरकारी दस्तावेज फाड़ने के सबूत कैमरे में पहले ही कैद हो चुके हैं.

सचिवालय में एक तरफ सरकारी फाइलें फाड़ी जा रही हैं तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री ऑफिस में तैनात कई अफसर केजरीवाल के डर से अपना ट्रांसफर कराने के लिए परेशान हैं. ये बात कोई और नहीं बल्कि सचिवालय का स्‍टाफ अपने मुंह से कह रहा है.

दिल्‍ली जल बोर्ड में बह रही है भ्रष्‍टाचार की गंगा
दिल्ली के झंडेवालान इलाके में दिल्ली जल बोर्ड का मुख्यालय है. दिल्ली में भ्रष्टाचार की गंगोत्री झंडेवालान के दिल्‍ली जल बोर्ड मुख्‍यालय से ही फूटती है. यह ऑफिस हजारों करोड़ के भ्रष्टाचार के लिए बदनाम है और यहां कई तरह के घपले अरविंद केजरीवाल ने खुद उजागर किए थे. इसे इत्तफाक ही कहेंगे कि यहां के भ्रष्‍टाचार उजागर करने वाले अरविंद केजरीवाल अब इस बिल्डिंग के मालिक होने जा रहे हैं. बतौर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ही दिल्ली जलबोर्ड के भी अध्यक्ष होंगे.

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दिल्ली जल बोर्ड में भ्रष्टाचार का खुलासा यूं तो कई बड़े अफसरों ने किया है, लेकिन सबसे अहम खुलासा दिल्ली जल बोर्ड की सबसे बड़ी अधिकारी यानी सीईओ के पीए ने किया है. जल बोर्ड में एक-एक आदमी के पास एक-एक, दो-दो गाड़ियां हैं, हेड क्लर्क भी गाड़ी लेकर घूम रहे हैं. इतना ही नहीं पीए के अनुसार भ्रष्‍टाचार की कहानी इससे भी कहीं आगे है.

डॉक्टर ए.के. अंबष्ट जल बोर्ड के मुख्य सतर्कता अधिकारी यानी सीवीओ हैं. अंबष्ट ने पहले ही सवाल में मान लिया कि दिल्ली जल बोर्ड में भ्रष्टाचार है और ये बात सही भी है. सीवीओ ने खुलासा किया कि पहले की हेड यानी पूर्व सीएम ने प्राइवेट आदमियों से हाथ मिला रखे थे और केजरीवाल के आने पर शायद ये परंपरा टूटे. सीवीओ का कहना था कि दिल्ली जल बोर्ड में प्राइवेट ठेकेदारों का बोलबाला है और उन्हें राजनेताओं की शह थी.

दिल्ली जल बोर्ड में जो भी बचे-खुचे ईमान वाले अफसर हैं, वो केजरीवाल का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. उधर जिन अफसरों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, उनमें हड़कंप है. सच तो ये है कि केजरीवाल का डर अब सबको सता रहा है. केजरीवाल ने वादा किया है कि हर परिवार को वो 700 लीटर मुफ्त पानी रोजाना मुहैया कराएंगे. जाहिर है कि जल बोर्ड में फैला भ्रष्टाचार अगर रुका तो केजरीवाल के लिए अपना वादा पूरा करना मुमकिन हो पाएगा. अब जल बोर्ड के अधिकारियों की नजर भी केजरीवाल पर ही है.

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अस्‍पतालों का इलाज करेंगे केजरीवाल, डीटीसी में भी हड़कंप
ऐसा नहीं है कि केजरीवाल का डर सिर्फ सचिवालय और दिल्ली सरकार के मुख्यालयों में ही नहीं, बल्कि उन अस्पतालों में भी है, जिन्हें केजरीवाल चलाएंगे. दिल्ली के गुरु तेगबहादुर अस्पताल में सीएमओ क्रिसमस के मूड में थे. उन्हें जैसे ही बताया गया कि केजरीवाल मुआयने के लिए अस्पताल आ सकते हैं तो सीएमओ तुरंत हरकत में आ गए.

सीएमओ ने फोन पर बातचीत की और कहा कि अस्पताल के चीफ यानी मेडिकल सुप्रीटेंडेंट को अगर मैं केजरीवाल के आने की बात कहूंगा तो उनके दिल की धड़कनें तेज हो जाएंगी.

केजरीवाल का नाम लेने पर दिल्ली के एक मोटर लाइसेंसिंग ऑफिसर खुद को केजरीवाल से भी बड़ा बताने लगे. उन्होंने कहा कि वो भ्रष्टाचार से सांड की तरह लड़ रहे हैं. समाज कल्याण विभाग में भी केजरीवाल के नाम पर हड़कंप है और अफसर मान रहे हैं कि भ्रष्ट अधिकारियों पर गाज गिरने वाली है. कुछ और अधिकारी भी हैं, जो खुद को आम आदमी पार्टी का समर्थक बता रहे हैं और मानते हैं कि केजरीवाल के आने से कहीं ना कहीं फर्क आएगा. डीटीसी के अधिकारी भी केजरीवाल को लेकर हैरान और परेशान हैं.

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