आखिरकार संस्पेंस खत्म हुआ और दिल्ली में चुनाव की तिथि घोषित हो गई. मुख्य चुनाव वी एस संपत के कार्य काल की यह आखिरी चुनाव घोषणा है. इसके साथ ही दिल्ली की कड़कती सर्दी में चुनावी पारा आसमान छूने के करीब है. चुनाव में यूं तो तीन पार्टियां मैदान में हैं लेकिन मुकाबला बीजेपी और आम आदमी पार्टी में ही होता दिख रहा है. कांग्रेस बैकफुट पर दिख रही है और मैदान में महज अपनी उपस्थिति दर्ज कराती दिख रही है.
अब तक आम आदमी पार्टी चुनाव आयोग पर यह आरोप लगाती दिख रही थी कि वह चुनाव टालकर अप्रैल में कराना चाहती है. लेकिन अब तिथि की घोषणा हेने के बाद उसका यह आरोप अप्रासंगिक हो गया है. पिछली बार सरकार बनाकर मैदान छोड़ देने वाली यह पार्टी इस बार दावा कर रही हैं कि वह सत्ता में आएगी और पूरे पांच साल सरकार बनाएगी. पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल अपने लुभावने वादों के साथ मैदान में हैं. हमेशा की तरह उनके पास आरोपों का पुलिंदा है और वे तमाम तरह के सवालों के साथ खड़े हैं.
दूसरी ओर बीजेपी है जो मोदी की लहर का फायदा दिल्ली के चुनाव में भी उठाना चाहती है. लेकिन शनिवार को पीएम की रैली के बाद पार्टी के पास अब मेहनत करने के सिवा कोई चारा नहीं है. मोदी की यह रैली उनकी अब तक की सबसे कमजोर रैली मानी जा रही है. इससे पार्टी किसी तरह का संदेश देने में सफल नहीं रही. इसका कारण पार्टी आलाकमान भले ही ढूंढ़ रहा हो लेकिन एक बात तय है कि दिल्ली बीजेपी के बड़े नेताओं में तालमेल का अभाव है. पिछले साल ही अध्यक्ष बने सतीश उपाध्याय अभी भी पूरी तरह कमांड में नहीं हैं. यहां के पुराने नेताओं के साथ उनके संबंधों में अभी वह बात नहीं दिख रही है.
बीजेपी इस बार भी मोदी के नाम पर चुनाव लड़ रही है और किसी का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए नहीं उछाल रही है जबकि आश्चर्यजनक रूप से आम आदमी पार्टी ने ही बीजेपी सीएम के लिए जगदीश मुखी के नाम की घोषणा कर दी है!
दिल्ली चुनाव में अन्य राज्यों की तरह मुद्दे नहीं है. यहां बिजली-पानी-सड़क की भी समस्या अन्य राज्यों की तरह नहीं है लेकिन कानून व्यवस्था यहां भी बड़ी समस्या है. यहां के हालात बहुत विकट हैं और अपराधों में कोई कमी नहीं है. आम आदमी पार्टी ने इस मुद्दे को उठाया है और बीजेपी को परेशानी में डाल रखा है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने की भी बात कही थी, यह भी आम आदमी पार्टी का एक मुद्दा है जिस पर वह बीजेपी को घेर रही है. कुल मिलाकर यह चुनाव दिलचस्प होगा और बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण होगा क्योंकि इस नए साल में वह पीएम मोदी की लहर की ताकत भांपना चाहेगी.