दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया अब अपने दफ्तर में भारी भरकम स्टाफ को लेकर विपक्ष के निशाने पर हैं. एक आरटीआई में खुलासा हुआ है कि डिप्टी सीएम के आफिस में 63 लोगों का स्टाफ है, अब इसी को लेकर विपक्ष ने आम आदमी पार्टी की सरकार को घेरना शुरु कर दिया है.
सादगी और किफायत का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी की जब दिल्ली मे सरकार बनी, तो सत्ता के दुरुपयोग को लेकर शुरु से ही विपक्ष ने केजरीवाल और उनकी पार्टी पर निशाना साधना शुरु कर दिया था. अब आधार एक आरटीआई का जवाब बना है, जो दिल्ली सरकार की तरफ से दिया गया है. इस जवाब में दिल्ली के डिप्टी सीएम के साथ काम करने वाले स्टाफ की सूची दी गई है.
इस सूची के मुताबिक सिसोदिया के पास 7 ओएसडी यानी आफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी है और तीन निजी सचिव हैं, इसके अलावा हेडक्लर्क, एडवाइज़र, मीडिया स्टॉफ के अलावा 18 चपरासी हैं. आरटीआई एक्टिविस्ट और बीजेपी नेता विवेक गर्ग के मुताबिक इस भारी भरकम स्टाफ के ज़रिए डिप्टी सीएम ने अपने करीबी लोगों को फायदा पहुंचाने का काम किया है. क्योंकि इसमें से ज्यादातर कोटर्मिनस आधार पर नियुक्त किए गए हैं और बिना किसी योग्यता के नियुक्ति दी गई है.
हालांकि आम आदमी पार्टी नेता दिलीप पांडे ने विवेक गर्ग के दावों को निराधार और उनके आरटीआई दस्तावेज़ों को फर्जी बताया है. इसी आधार पर उन्होंने इस पर कोई प्रतिक्रिया भी नहीं दी, लेकिन विपक्ष इस मुद्दे पर केजरीवाल सरकार को छोड़ने के मूड में नहीं है.
दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी के मुताबिक इस मामले की जांच होनी चाहिए कि आखिर किसी मंत्री या डिप्टी सीएम को इतने स्टाफ की ज़रूरत क्या है. उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े संस्थानों में किसी के पास इतना स्टाफ नहीं होता और ये अपनी निजी स्टाफ में इतने लोग रखते है. तिवारी ने इसे जनता के पैसै की बर्बादी बताया और कहा कि इसके पीछे की असल वजह सामने आनी चाहिए.
गौरतलब है कि रविवार को ही डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया ने इस बात की आशंका जताई थी कि नोटबंदी के वजह से दिल्ली सरकार का टैक्स कलेक्शन प्रभावित हुआ है और इस बार कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए भी फंड की कमी हो सकती है. ऐसे में सामने आई आरटीआई के बाद फिजूलखर्ची को लेकर एक बार फिर दिल्ली सरकार विवादों में घिरती नज़र आ रही है.