दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत के अयोग्य घोषित किए जाने के बाद भी विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने के खिलाफ बीजेपी विधायकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. इस पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, विधानसभा स्पीकर ऑफिस और कैलाश गहलोत को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. हाइकोर्ट ने सभी पक्षों को 10 दिन के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 6 अप्रैल की तारीख तय की है.
हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने फिलहाल मंत्री के विधानसभा सत्र में हिस्सा लेने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि वह बिना मंत्री का पक्ष जाने किसी तरह की रोक नहीं लगा सकती. ये याचिका बीजेपी के 3 विधायकों विजेंद्र गुप्ता, ओपी शर्मा, जगदीश प्रधान और मनजिंदर सिंह सिरसा ने दाखिल की है.
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इस याचिका में कहा गया है कि मंत्री कैलाश गहलोत को चुनाव आयोग द्वारा अयोग्य ठहराए जाने के बावजूद स्पीकर द्वारा विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने की अनुमति देना गलत और कानून के खिलाफ है. साथ ही ये राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली एक्ट 1991 का भी उल्लंघन है.
बीजेपी विधायकों ने कोर्ट मे तर्क दिए हैं कि एक बार जब किसी विधायक को चुनाव आयोग अयोग्य घोषित कर देता है तो वो विधायक के रूप में बना नहीं रह सकता है. इसीलिए विधायकों ने कोर्ट में याचिका पेश की. साथ ही कोर्ट को तुरंत हस्तक्षेप कर मंत्री को विधानसभा की कार्यवाही में भाग ना लेने की मांग की है.
ऐसे में स्पीकर का ये कहना गलत है कि अयोग्य घोषित होने के 6 माह के अंदर गहलोत के पास दोबारा निर्वाचित होने का समय है, इसलिए गहलोत सदन की कार्यवाही में हिस्सा ले सकते हैं.
बता दें, गहलोत के वकील राजीव नैयर ने याचिका का विरोध करते हुए कोर्ट से इसे रद्द करने की मांग की है. चुनाव आयोग ने 19 जनवरी को 20 विधायकों को आयोग्य घोषित करने की सिफारिश की थी जिसे 20 जनवरी को राष्ट्रपति ने अपनी मंजूरी दे दी थी. इन 20 विधायकों में कैलाश गहलोत भी शामिल हैं.