दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बिना विभाग का मुख्यमंत्री कहकर चिढ़ाने वाले विपक्ष को केजरीवाल ने जल विभाग का चार्ज लेकर चुप कराने की कोशिश की. वहीं विपक्ष ने इस पर भी चुटकी लेने में देर नहीं की.
दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि उन्हें खुशी है कि कम से कम ढाई साल में केजरीवाल ने कोई काम तो हाथ में लिया है. लेकिन उन्होंने जल विभाग ऐसे वक्त में संभाला है, जब दिल्ली में जल संकट की चुनौती लगभग खत्म हो गई है.
राजेंद्र पाल को दिया गया था चार्ज
तीन महीने पहले केजरीवाल ने दिल्ली में पानी की कमी का हवाला देते हुए कपिल मिश्रा को जल मंत्रालय से हटा दिया था. साथ ही कहा था कि कपिल मिश्रा दिल्ली वालों को पानी पहुंचाने में नाकाम रहे. इसके बाद राजेंद्र पाल गौतम को मंत्रालय का चार्ज दिया गया था.
हालात सुधरने का किया इंतजार
विजेंद्र गुप्ता ने ये भी कहा कि पानी की कमी होने पर भी केजरीवाल ने तीन महीने तक हालत अपने आप सुधरने का इंतज़ार किया. अब जब बारिश के बाद पानी की कमी की समस्या कम हुई, तो उन्होंने राजेंद्र पाल गौतम को हटाकर खुद चार्ज ले लिया.
केजरीवाल बताए अपना रोडमैप
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि अब केजरीवाल को अपना रोडमैप बताना चाहिए कि दिल्ली के हर कोने में वो कब तक पानी पहुंचा देंगे. जो इलाके पानी की कमी से जूझ रहे हैं वहां पानी कैसे पहुंचाएंगे, क्योंकि इसी से उनकी सफलता या नकामी तय होगी.
क्यों हटाया तीन महीनों में गौतम को?
उन्होंने कहा कि हमे इसी बात की खुशी है कि ढाई साल बाद आखिर कोई काम तो हाथ में लिया. इसके साथ ही केजरीवाल को ये भी बताना चाहिए कि तीन महीने में गौतम को क्यों हटाया. उन्होंने कहा कि कपिल मिश्रा हो हटाया था क्योंकि उन्होंने काम नहीं किया, फिर गौतम पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की. केजरीवाल को अपना ब्लू प्रिंट बताना चाहिए, रोडमैप बताएं कि मंत्री के तौर पर क्या करेंगे, तभी तो उनका आंकलन हो पाएगा.