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अब गंगा किनारे बसे 5 राज्यों में होगी जैविक खेती

गंगा पुनर्जीवन मंत्री उमा भारती के मुताबिक, जैविक खेती के अलावा स्थानीय दुधारू और खेती के काम आने वाले पशुओं की नस्ल सुधारने के लिए भी कई उपाय किए जाएंगे. इसका गंगा सफाई से सीधा नहीं, लेकिन अप्रत्यक्ष जुड़ाव जरूर है. इससे गंगा किनारे के किसानों और पशुपालकों को गंगा से जोड़ा जाएगा.

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सरकार ने साइन किया एमओयू
सरकार ने साइन किया एमओयू

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गंगा किनारे बसे पांच राज्यों के साढ़े पांच हजार से ज्यादा गांवों में अब जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. गंगा सफाई की मुहीम में उचित तेजी दिखाई ना देने के बाद अब सरकार के गंगा पुनर्जीवन मंत्रालय और कृषि मंत्रालय के बीच नया एमओयू मंजूर किया गया. तीन साल के लिए हुए दस्तखत वाले इस एमओयू के मुताबिक, गंगा किनारे के गांवों की पंचायतों से जुड़े गांवों और खेतों में जैविक खेती को ही बढ़ावा दिया जाएगा. इससे गंगा में रासायनिक खादों का रिसाव रुकेगा. वहीं, आसपास के किसानों को उनकी जैविक फसल का उचित मूल्य भी मिलेगा.

गंगा पुनर्जीवन मंत्री उमा भारती के मुताबिक, जैविक खेती के अलावा स्थानीय दुधारू और खेती के काम आने वाले पशुओं की नस्ल सुधारने के लिए भी कई उपाय किए जाएंगे. इसका गंगा सफाई से सीधा नहीं, लेकिन अप्रत्यक्ष जुड़ाव जरूर है. इससे गंगा किनारे के किसानों और पशुपालकों को गंगा से जोड़ा जाएगा.

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वैसे तो राष्ट्रीय गंगा मिशन के लिए सरकार ने 12728 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की है. इसमें 7272 करोड़ रुपये चालू योजनाओं के लिए भी खर्च किए जा रहे हैं. कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि जैविक खेती के लिए सरकार देश भर में 100 प्रशिक्षण केंद्र खोलने जा रही है. इसके लिए 500 करोड़ रुपये भी सरकार ने स्वीकृत किए हैं. इसके तहत गंगा किनारे के गांवों में भी कुछ प्रशिक्षण केंद्र खोले जाएंगे. मिट्टी की सेहत का पता चलने के बाद जैविक खेती का तरीका भी आसान हो जाएगा.

फिलहाल, गंगा संरक्षण को लेकर मंत्रालय रेलवे, मानव संसाधन, जहाजरानी, ग्रामीण विकास , आयुष, पेयजल सहित कई मंत्रालयों के साथ सहमति ज्ञापन यानी एमओयू पर दस्तखत कर चुका है. ये अलग बात है कि तमाम कोशिशों के बावजूद गंगा यमुना जैसी बड़ी नदियों के जल स्तर में ना तो उल्लेखनीय कमी आई है और ना ही सफाई कहीं दिखाई पड़ी है, जबकि इस मंत्रालय को भी दो साल से ज्यादा हो गए हैं.

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