देश की राजधानी दिल्ली में पिछले 15 दिनों से करीब 22000 अतिथि शिक्षक (Guest Teachers) सड़क पर हैं. 1 मार्च से 6 मार्च तक ये शिक्षक अपनी रोजी-रोटी को बचाने के लिए दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया से गुहार लगा रहे थे. 6 मार्च को मनीष सिसोदिया ने कैबिनेट की आपात बैठक में इनकी मांगों पर मुहर लगाते हुए 60 साल तक जॉब गारंटी पर नोट तैयार कर दिल्ली के उप-राज्यपाल अनिल बैजल को सौंप दिया.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मनीष सिसोदिया ने कहा कि हमने अपना काम कर दिया है, अब उप-राज्यपाल को इसपर फैसला लेना है. क्योंकि दिल्ली में सर्विस मेटर संबंधित अधिकार उप-राज्यपाल के पास है. ऐसे में 7 मार्च को भीड़ मनीष सिसोदिया के घर से उठकर उप-राज्यपाल के दफ्तर के बाहर पहुंच गई.
मनीष सिसोदिया के घर के बाहर प्रदर्शन करते अतिथि शिक्षक
जब ये गेस्ट टीचर्स मनीष सिसोदिया के घर बाहर थे तो वहां पर ये एक ही नारा लगा रहे थे-(WE WANT POLICY). लेकिन जैसे ही सिसोदिया ने कहा कि हमने अपने हिस्से का काम कर दिया है, अब BJP को अपने हिस्से का काम करना चाहिए. गेस्ट टीचर्स उम्मीद के साथ LG अनिल बैजल के घर के बाहर धरने पर बैठ गए और (WE WANT SIGNATURE) का नारा लगाने लगे.
दरअसल, जब अतिथि शिक्षक मनीष सिसोदिया के घर के बाहर धरने पर थे. तब इनके बीच दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी पहुंचे थे और हरसंभव मदद का भरोसा दिया. शिक्षकों को लगा कि अब उनकी मेहनत रंग लाने वाली है. मनोज तिवारी ने शिक्षकों के बीच पहुंचकर उनसे कहा कि वो इस मसले को लेकर उप-राज्यपाल से बात करेंगे. इसके बाद मनोज तिवारी ने मसले को लेकर LG से मुलाकात की. मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा उप-राज्यपाल को केवल नोट दिया दिया है. जिसमें शिक्षकों के लिए 60 साल तक जॉब सिक्योर करने की मांग की गई है.
मनोज तिवारी ने आश्वासन दिया कि एक भी अतिथि शिक्षक को नहीं हटाया जाएगा. लेकिन शिक्षकों का कहना है कि इस बाबत अभी तक स्कूल में कोई सर्कुलर नहीं पहुंचा है. शिक्षकों में इस बात को लेकर गहरी नाराजगी है कि स्कूल ज्वाइनिंग के लिए उनपर लगातार (HoS) के द्वारा दबाव बनाया जा रहा है. जबकि उनका 28 फरवरी 2019 को ही कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो चुका है. ऐसे में शिक्षकों को हर तरफ से केवल आश्वासन मिल रहा है, लेकिन नौकरी कैसे बचेगी इसको लेकर सभी परेशान हैं.
शिक्षकों का कहना है कि मनोज तिवारी ने कहा कि एक भी अतिथि शिक्षक को 31 अगस्त 2019 तक नहीं हटाया जाएगा, इसको लेकर उनकी उप-राज्यपाल अनिल बैजल से बात हुई है. लेकिन इस संदर्भ में कोई लिखित सर्कुलर नहीं निकाला गया है. वहीं दूसरी तरफ स्कूलों में Post Fixation Report (PFC) पहुंच चुकी है और अतिथि शिक्षकों को निकालने की तैयारी चल रही है. 1 अप्रैल से PFC लागू होते ही हजारों अतिथि शिक्षक रिलीव कर दिए जाएंगे. उसके बाद प्रमोशन की लिस्ट आनी वाली है, उससे भी हजारों अतिथि शिक्षक बाहर कर दिए जाएंगे. फिर मनोज तिवारी कैसे कह रहे हैं कि 31 अगस्त तक सभी अतिथि शिक्षकों की नौकरी सुरक्षित है. इस मसले को लेकर हमने मनोज तिवारी से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई.
22 हजार अतिथि शिक्षक जॉब जाने से परेशान
इस मुद्दे को लेकर हमने दिल्ली अतिथि शिक्षक संघ के अध्यक्ष गोविंद सिंह से बात की. उनका कहना है कि अतिथि शिक्षक को लेकर न तो दिल्ली सरकार गंभीर है, और न ही भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता. उन्होंने कहा, 'सर्विस मेटर उप-राज्यपाल के पास है, उप-राज्यपाल ही इसपर फैसला ले सकते हैं. उप-राज्यपाल ही पॉलिसी बनवाने संबंधित आदेश एजुकेशन डिपार्टमेंट चीफ को दे सकते हैं.'
गोविंद सिंह ने कहा कि 4 अक्टूबर 2017 दिल्ली सरकार अतिथि शिक्षकों को पक्का करने के लिए विधानसभा में एक बिल पास किया था जो अभी भी उप-राज्यपाल के पास विचाराधीन है. उन्होंने कहा कि उस वक्त बीजेपी के द्वारा कहा गया था कि अगर दिल्ली सरकार केवल एक जॉब गारंटी नोट कैबिनेट से पास करवाकर उप-राज्यपाल को सौंप देगी तो उसे कानूनी प्रक्रिया के तहत LG हाउस से आगे बढ़ा दिया जाएगा. लेकिन अब फिर बीजेपी मुद्दे पर राजनीति कर रही है.
14 दिन से अपनी मांगों को लेकर सड़क पर अतिथि शिक्षक
वहीं इस मामले को लेकर हमने पिछले 15 दिनों से धरने की अगुवाई कर रहे ऑल इंडिया गेस्ट टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीन तोबड़िया से संपर्क किया. उनका कहना है कि जब तक मांगें पूरी नहीं हो जाती, शिक्षक धरने पर डटे रहेंगे. क्योंकि शिक्षकों के पास अब खोने के लिए कुछ नहीं है, 28 फरवरी से सभी शिक्षक जॉब से बाहर हैं.' उन्होंने कहा कि धरने के दौरान एक दिन पुलिस जबरन अतिथि शिक्षकों को उठाकर थाने लेकर चली गई, इस दौरान कई अतिथि शिक्षकों से बदसलूकी की गई. उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता किरण वालिया की मदद से फिर उनके साथी छुड़ाए गएं.
प्रवीन तोबड़िया ने बताया कि दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने आश्वासन दिया था कि वो इस मसले को लेकर गंभीर हैं और उपराज्यपाल अनिल बैजल से बात करेंगे. उन्होंने कहा कि 8 मार्च को मनोज तिवारी अतिथि शिक्षकों को लेकर LG से मिलने गए. इस 7 मिनट की मुलाकात में अतिथि शिक्षकों को केवल एक मिनट बोलने का वक्त दिया गया. LG से मुलाकात के बाद बाहर निकलकर मनोज तिवारी ने कहा कि 60 साल की पॉलिसी को लेकर कानूनी मदद की जरूरत है, जिसको लेकर डिपार्टमेंट अपना करेगा. क्योंकि कोर्ट में आगे चलकर यह पॉलिसी खारिज न हो.
14वें दिन कुछ इस तरह विरोध करते अतिथि शिक्षक
तोबड़िया का कहना है कि भीड़ को संबोधित करते हुए मनोज तिवारी ने शिक्षकों से कहा था कि 31 अगस्त तक किसी शिक्षक को स्कूल से नहीं हटाया जाएगा, इसको लेकर उनकी उप-राज्यपाल से बात हुई है. लेकिन इसका कोई लिखित सर्कुलर आजतक जारी नहीं हुआ है. जबकि स्कूलों में PFC के जरिये शिक्षकों को हटाने के लिए लिस्ट तैयार की जा रही है. उन्होंने साफ कहा कि मनोज तिवारी शिक्षकों को गुमराह कर रहे हैं. अगर 31 अगस्त तक कोई शिक्षक नहीं हटाए जाएंगे तो उन्हें इसको लेकर सर्कुलर निकलवाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि पिछले एक हफ्ते से अतिथि शिक्षक दिल्ली बीजेपी कार्यालय के बाहर अपना हक मांग कर रहे हैं. लेकिन उनकी सुध नहीं ली जा रही है. महिला अतिथि शिक्षक अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ धरनास्थल पर पहुंच रही हैं. क्योंकि जॉब चले जाने से वो वैसे ही सड़क पर आ गई हैं. हालांकि उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगों पर लिखित आश्वासन नहीं मिल जाता, तब तक सभी 22 हजार अतिथि शिक्षक संघर्ष करते रहेंगे. शिक्षकों को कहना है कि जिस तरह हरियाणा में बीजेपी सरकार ने शिक्षकों को रेगुलर किया है उसी तरह दिल्ली में उन्हें 60 साल के लिए पक्की नौकरी दी जाए.