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दिल्ली: स्कूलों में 25 हजार शिक्षकों की कमी, 30 के बजाय 80 छात्रों पर एक टीचर

राइट टू एजूकेशन कहता है कि 30 बच्चों पर एक टीचर हो पर दिल्ली में 80 बच्चो पर एक टीचर है, बाहरी दिल्ली के कई स्कूलों में तो एक-एक क्लास में 100 बच्चे तक हैं.

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गेस्ट टीचरों को हटाने का फैसला केजरीवाल सरकार ने लिया वापस
गेस्ट टीचरों को हटाने का फैसला केजरीवाल सरकार ने लिया वापस

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राजधानी दिल्ली के स्कूलों में शिक्षकों की जबरदस्त कमी है, एक तरफ दिल्ली सरकार ये दावा कि दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में इतना काम हुआ है जितना बीते 20 सालों में नहीं हुआ. चुनौती जैसे कार्यक्रम, मेगा पीटीएम जैसे आयोजन करवाकर दिल्ली सरकार ऐसा अनुभव करा रही मानो शिक्षा विभाग का उद्धार हो गया हो पर सच्चाई कोसों दूर है, दिल्ली में हजारों नए क्लासरूम तो बनाए जा रहे पर जो क्लासरूम पहले से हैं वहां टीचर ही नहीं हैं.

दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग की तस्वीर:

1540691 बच्चे
1011 स्कूल
33000 परमानेंट टीचर
17000 गेस्ट टीचर
20000 से ज्यादा टीचर्स की कमी है
75 फीसदी से ज्यादा प्रिंसिपल के पद खाली पड़े हैं
30 के बजाय 80 बच्चों पर एक टीचर

राइट टू एजूकेशन कहता है कि 30 बच्चों पर एक टीचर हो पर दिल्ली में 80 बच्चो पर एक टीचर है, बाहरी दिल्ली के कई स्कूलों में तो एक-एक क्लास में 100 बच्चे तक हैं. गवर्नमेंट स्कूल शिक्षकसंघ के महासचिव अजयवीर यादव बताते हैं कि जिस प्रकार से शिक्षकों की कमी है, उस हिसाब से दिल्ली सरकार के तमाम प्रोजेक्ट जैसे चुनौती 2018 पूरे नहीं किए जा सकते.

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वहीं इसी संस्था के अध्यक्ष सीपी सिंह बताते हैं कि 25000 से ज्यादा शिक्षकों की कमी है, इसे तत्काल भरा जाए. कई स्कूलों में गेस्ट टीचर और स्थायी शिक्षकों का सम-विषम कर काम चलाने की कोशिश हो रही है. इस कमी के बावजूद कई शिक्षकों को कोर्ट संबंधी दूसरे कामों में लगाया गया है. ये लोग वर्षों से शिक्षण कार्यों से दूर हैं, पैरेंट एसोसिएशन के वीरेंद्र सिंह कहते हैं इस तरह से दिल्ली के बच्चों के शिक्षा का स्तर भी गिरता चला जा रहा है. शिक्षा मामलों के जानकार अशोक अग्रवाल बताते हैं कि पहली बार सोशल ज्यूरिस्ट संस्था की ओर से साल 2000 में याचिका दायर की गई. इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि स्कूलों में शिक्षकों के सभी पदों को भरा जाए. लेकिन अभीतक तक ऐसा नहीं हुआ, क्योंकि इस बीच में 2001 की भर्ती के बाद से कोई भी शिक्षक का पद नहीं भरा गया और कॉन्ट्रेक्ट पर शिक्षक रखे जा रहे हैं.

गेस्ट टीचरों को हटाने का फैसला केजरीवाल सरकार ने लिया वापस
वहीं बीते दिनों पीएफसी के जरिए हटाए गए सैकड़ों शिक्षकों को राहत मिल गई है, चार दिन पहले के अपने फैसले को दिल्ली सरकार ने वापस ले लिया है. बीते कई दिनों से सरकार के इस फैसले की जमकर आलोचना हो रही थी. सोमवार शाम जैसे ही हटाए गए गेस्ट टीचरों के पास सरकार का नया फरमान पहुंचा उनमे खुशी की लहर दौड़ गई. शिक्षकों ने दिल्ली सरकार का धन्यवाद किया, लेकिन अभी भी कई शिक्षकों को ये राहत महज कुछ दिन की लग रही है.

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क्या था मामला
दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग ने 13 अक्टूबर को तुरंत प्रभाव से पीएफसी लागू करने का आदेश दिया था, जिससे अचानक से दो सौ से ज्यादा गेस्ट टीचरों की नौकरी समाप्त हो गई थी. पीएफसी का मतलब है पोस्ट फिक्सेसन सेल, यानी हर साल ये तय होता है कि बच्चों के अनुपात में उस सब्जेक्ट के टीचर कितने हैं और अगर गेस्ट टीचर ज्यादा मिले तो उन्हें हटा दिया जाता है. गौरतलब है कि इससे पहले बीच सत्र में पीएफसी लागू नहीं होती थी, लेकिन इस साल तुरन्त प्रभाव से लागू करने का फरमान जारी कर दिया गया था, और गेस्ट टीचरों को अगले दिन ही नौकरी से हटा दिया गया था.

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