ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की कालाबाजारी के मामले में गिरफ्तार आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका पर आज मंगलवार को साकेत कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट अब इस संबंध में बुधवार को फैसला सुनाएगा.
फिलहाल साकेत कोर्ट ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मामले में गिरफ्तार हुए लोगों की जमानत अर्जी पर कल बुधवार को फैसला सुनाएगा. यह याचिका मैट्रिक्स सेलुलर के सीईओ और अन्य गिरफ्तार आरोपियों की ओर दाखिल की गई है.
इस बीच नवनीत कालरा की अग्रिम जमानत अर्जी पर अतिरिक्त सेशंस जज (ASJ) सुमित दास की कोर्ट में सुनवाई हुई. आरोपी नवनीत कालरा को कोर्ट से राहत नहीं मिली है. कालरा की अर्जी पर कल इस मामले में फिर से 10 बजे सुनवाई होगी. ASJ सुमित दास ने मामले को डिस्ट्रिक्ट जज साउथ ईस्ट के कोर्ट में भेज दिया है. इस केस में सुनवाई के दौरान एडवोकेट विनीत मल्होत्रा ने कहा कि पुलिस का आचरण बहुत ही निराशाजनक रहा है. वे उन्हें बताए बिना ही जिला जज के पास गए कि इस कोर्ट ने नोटिस जारी किया है.
साकेत कोर्ट में सुनवाई
इससे पहले सुनवाई के दौरान गिरफ्तार आरोपियों की ओर से पेश वकील ने साकेत कोर्ट से कहा कि कुछ भी गलत नहीं किया गया, लेकिन उन्हें आरोपी बना दिया गया, अगर सब कुछ लीगल तरीके से बेचा गया, तो फिर होर्डिंग या कालाबाजारी कैसे हुई? लुकआउट नोटिस जारी करने का क्या मतलब है.
सरकारी वकील अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि पूरा विश्व कोरोना महामारी से प्रभावित है और आरोपियों ने उसका फायदा उठाते हुए ऑक्सीजन कंसंट्रटर मंहगे बेचने शुरू कर दिए. ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का रेट अमूमन 10 से 20 हजार रुपये होता है, लेकिन अभी की परिस्थितियों का फायदा उठाकर इन्होंने इसे 70 हजार तक में बेचना शुरू कर दिया.
सरकारी वकील श्रीवास्तव ने कहा कि चीन से इन्होंने घटिया ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मंगाए, जो काम भी ठीक से नहीं करते हैं. इस पर कोर्ट ने पूछा कि चीन से माल लाने की इजाज़त तो ख़ुद सरकार ने दी है, सरकार ने इस पर बैन क्यों नहीं लगाया? सरकार अगर चीन से सामान मंगाती है तो वो सही होता है, लेक़िन अगर वही माल प्राइवेट कंपनी मांगती है, तो वो घटिया हो जाता है? ये कैसा तर्क है?
कोर्ट ने कहा कि सरकार के पास ऐसा कोई नियम ही नहीं है जो ये तय कर सके कि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का रेट क्या होगा. कोर्ट ने पूछा कि क्या आपके पास ऐसा कोई सबूत है, जिसमें जो आरोपियों ने 70 हज़ार का रेट तय किया था उससे ज़्यादा का बेचा हो? कोर्ट ने कहा कि आज 11 मई को भी सरकार की तरफ़ से कोई गाइडलाइंस या नोटिफिकेशन हो, जिसमें ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के रेट तय किया गया हो.
आप लोग सब्जी मंडी बना देते होः कोर्ट
कोर्ट में बहस में दौरान वकीलों के बीच मामला गरमा गया और एक-दूसरे पर चिल्लाना शुरू कर दिया. इस पर कोर्ट बेहद नाराज दिखा.
कोर्ट ने कहा कि मैं सभी को चुप रहने को कह रहा हूं. आप सब्जी मंडी बना देते हो. जब आप कानून पर बहस नहीं कर पाते तो आप निजी हमलों पर आते हो. कैसे आप कह सकते हैं कि वकील बोल रहा है. अगर आप जोर से बोलते रहेंगे तो आप पर अवमानना का आदेश जारी करू दूंगा.
बिजनेसमैन को कैसे टारगेट कर सकते होः कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि सरकार अगर ख़ुद ही कोई नियम ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के रेट को रेगुलेट करने के लिए नहीं बना रही है तो फ़िर आप बिजनेसमैन को कैसे टारगेट कर सकते हो, अगर बिजनेस मैन कुछ कमाने के लिए महामारी में कुछ कर रहा है तो वो अपराध की श्रेणी में कैसे आ सकता है, आप जबरन आतंक क्यों दिखाना चाहते हो, पुलिस क्या दिखाना चाहती है?
कोर्ट ने कहा कि हम मीडिया में नहीं है, क्या हो रहा है समाज में ये दिखाना हमारा काम नहीं है, राज्य को अपने लोगों के लिए निष्पक्ष होना ज़रूरी है ,चाहे वो बिजनेसमैन ही क्यों नहीं हो, शराब भी महामारी में बेची जा रही है, क्योंकि उससे आर्थिक फ़ायदा होता है, लॉकडाउन में क्या बिज़नेस करना कोई अपराध है? मैं ये जानना चाहता हूं कि अगर कोई बिजनेसमैन बाहर से मांगकर कोई सामान देश में बेच रहा है तो ये क्या गलत है?
कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार ने न तो ऑक्सीजन कंसंट्रेटर ख़ुद ख़रीद कर बाज़ार तक पहुंचाई, और जो लोग बेच रहे थे, उनको पकड़ लिया, अब वो लोग कहां जाए, जो 70 हज़ार रुपये देकर भी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर ख़रीद कर अपने लोगों की जान बचाना चाहते थे.