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पद्मावती का दिल्ली में भी विरोध, फूंका संजय लीला भंसाली का पुतला

राष्ट्र चेतना मंच के बैनर तले ये प्रदर्शनकारी जुट थे. प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे राजपूत समाज के नेता प्रमेश चौहान ने कहा, जब तक फिल्म से आपत्तिजनक सीन हटाया नहीं जाता और फिल्म उनके समाज को नहीं दिखाई जाती तब तक फिल्म को दिल्ली में रिलीज नहीं होने देंगे.

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फिल्म पद्मावती का विरोध
फिल्म पद्मावती का विरोध

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पद्मावती फिल्म को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. दिल्ली के आजादपुर में पद्मावती फिल्म के विरोध में जबरदस्त प्रदर्शन हुआ. इस दौरान हंगामा करते हुए सड़क जाम कर दी गई. फिल्म के विरोध में केसरिया झंडे लेकर सैकड़ों प्रदर्शनकारी सड़क पर सुबह से ही जुट गए थे. इस दौरान फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली का पुतला भी फूंका गया.  

राष्ट्र चेतना मंच ने दी धमकी- रिलीज नहीं होने देंगे फिल्म

राष्ट्र चेतना मंच के बैनर तले ये प्रदर्शनकारी जुटे थे. प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे राजपूत समाज के नेता प्रमेश चौहान ने कहा, जब तक फिल्म से आपत्तिजनक सीन हटाया नहीं जाता और फिल्म उनके समाज को नहीं दिखाई जाती तब तक फिल्म को दिल्ली में रिलीज नहीं होने देंगे. प्रमेश ने चेतावनी देते हुए कहा है कि राजपूतों के इतिहास से छेड़छाड़ कर फिल्म बनाना अब आगे से नहीं चलेगा. खास बात रही है कि इस प्रदर्शन में बीजेपी के कई नेता भी शामिल हुए. 

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क्यों है विवाद ?

कई बातों को लेकर विवाद है. आरोपों के मुताबिक फिल्म में अलाउद्दीन खिलजी को महिमामंडित किया गया है. खिलजी और रानी पद्मिनी के बीच ड्रीम सीक्वेंस फिल्माया गया है. रानी पद्मावती को उस तरह दिखाया गया जैसा राजपूत या राजपरिवारों में नहीं होता. घूमर डांस में भी राजपूत समाज की गलत प्रस्तुति हुई. कहा जा रहा कि पुरुषों के सामने रानियां डांस नहीं करती.

ये फिल्म सात सौ साल पहले की एक कहानी पर बन रही है. हिंदी कवि मलिक मोहम्मद जायसी ने पद्मावत लिखी थी. इसमें रानी पद्मिनी और खिलजी का जिक्र है. कुछ लोग गल्प मानते हैं तो वहीं कई लोग इसे ऐतिहासिक कहानी बताते हैं. कहा जाता है कि खिलजी रानी पद्मिनी को लेकर आशक्त था, उसने मेवाड़ पर हमला कर दिया था. रानी पद्मिनी ने 16 हजार राजपूत महिलाओं के साथ जौहर कर लिया था.

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