रविवार को फिल्म पद्मावती का विरोध करने के लिए दिल्ली के ताल कटोरा स्टेडीयम में अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के मिलन समारोह का आयोजन किया गया. इस समारोह में देशभर के अलग-अलग राज्यों से राजपूत समाज के लोग एकत्रित हुए, जिसमें महिलाएं भी शामिल थीं. इस मिलन समारोह के बाद राजपूत समाज ने कहा कि विरोध के बावजूद फिल्म रिलीज हुई तो सिनेमाघर जलेंगे और इसके लिए सरकारें जिम्मेदार होंगी.
बता दें कि संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' शुरुआत से ही लगातार विवादों में बनी हुई है. अब तो फिल्म को लेकर मुश्किलें इतनी बढ़ गई हैं कि फिल्म की रिलीज डेट को ही अगले साल के लिए टाल दिया गया है. फिल्म पर होने वाले विरोधों और प्रदर्शनों को देखते हुए ये कहना भी मुश्किल हो गया है कि फिल्म रिलीज भी होगी या नहीं.
फिल्म में कई दिक्कतें:
अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के कार्यकारिणी अध्यक्ष महेंद्र सिंह तंवर ने कहा कि फिल्म में हमें कई दिक्कतें नजर आ रही हैं. सबसे पहले तो फिल्म का नाम ही सही नहीं है. 'पद्मावती' ये क्या होता है? 'मां पद्मावती' नाम होना चाहिए. रानी, वीरांगना, देवी आदि नाम होने चाहिए. दूसरी बात जो गाना दिखाया जा रहा है घूमर, उसमें भी दिक्कत है. रानी पद्मावती ने ऐसा कभी नृत्य नहीं किया. वो भी नहीं होना चाहिए. हमारे इतिहास के साथ ये छेड़छड़ है. इन गलतियों के साथ फिल्म को रिलीज नहीं होने देंगे.
दीपिका की नाक काट देंगे, ये कहने वाले लोग गलत:
अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के कार्यकारिणी अध्यक्ष महेंद्र सिंह तंवर ने कहा कि जो लोग ऐसा कहते हैं कि दीपिका की नाक काट देंगे, भंसाली का सिर काट देंगे, वो लोग गलत हैं. राजपूत समाज हर महिला की इज्जत करता है. वो चाहे कोई भी हों. दीपिका एक अभिनेत्री हैं. हमारी लड़ाई किसी से नहीं. लेकिन हम चाहते ही नहीं कि रानी पद्मावती पर कोई भी फिल्म बने. उन्हें नृत्य करते दिखाया जाए.
सिनेमाघर जले तो केंद्र जिम्मेदार
वहीं कुछ लोगों का ये भी कहना था कि अगर फिल्म रिलीज होती है और इसके विरोध में सिनेमाघर जलते हैं तो इसकी सारी जिम्मेदारी केंद्र सरकार और राज्य सरकार की होगी. रविवार को इस मिलन समारोह में पूरे राजपूत समाज के सामने ये सवाल रखा गया कि आखिर पद्मावती को रिलीज होने देना है या नहीं. इस पर राजपूत समाज का कहना है कि वो फिल्म को किसी भी हाल में रिलीज नहीं होने देना चाहते.