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पाक से आई हिंदू लड़की ने केजरीवाल को लिखी चिट्ठी, दिल्ली में रहकर पढ़ना चाहती

दो साल पहले मधु ने पाकिस्तान छोड़ा था तो वो वहां 9वीं में पढ़ती थी. मधु अपनी मां, भाई, चाचा और दो रिश्तेदारों के साथ दिल्ली आई.

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रिश्तेदारों के साथ दो साल पहले दिल्ली आई है मधु
रिश्तेदारों के साथ दो साल पहले दिल्ली आई है मधु

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वो बहुत उम्मीदों के साथ पाकिस्तान से भारत आई. उसे भरोसा था कि हिंदू होने के नाते पाकिस्तान के स्कूल में उसके साथ जो भेदभाव होता था वो भारत में नहीं होगा. साथ ही वो भारत में अच्छी शिक्षा हासिल कर पुलिस अधिकारी बनने के अपने ख्वाब को पूरा कर सकेगी. लेकिन भारत में उसके लिए स्कूल में दाखिले के लिए ही लाले पड़े हुए हैं. यहां बात हो रही है पाकिस्तान के सिंध से दिल्ली आई 16 साल की लड़की मधु की. 'आज तक' को इस बिटिया की व्यथा का पता चला तो हर उस दरवाजे तक जाने की कोशिश की जहां से उसकी मुश्किल आसान होने की उम्मीद थी.

रिश्तेदारों के साथ दिल्ली आई है मधु
दो साल पहले मधु ने पाकिस्तान छोड़ा था तो वो वहां 9वीं में पढ़ती थी. मधु अपनी मां, भाई, चाचा और दो रिश्तेदारों के साथ दिल्ली आई. मधु के पिता का कुछ साल पहले निधन हो चुका है. मधु की मां कुछ महीने भारत में रहने के बाद मजबूरियों की वजह से पाकिस्तान लौट गई. तब से मधु अपने भाई और दूर के एक चाचा के साथ ही दिल्ली के भाटी माइन्स एरिया, संजय नगर कॉलोनी में रह रही है. मधु वहीं सरकारी स्कूल में 9वीं में दाखिला लेना चाहती है. अभी स्कूल में एडमिशन न मिल पाने के कारण वह घर पर ही रह कर पढ़ाई कर रही है.

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दिल्ली में पढ़ना चाहती हैं मधु
'आज तक' से बात करते हुए कहा मधु ने कहा कि मुझे पढ़ने का बहुत मन है, मैंने भाटी माइन्स के स्कूल में एडमिशन करवाने कई बार गई तो मुझसे प्रूफ मांगा गया, मैं आधार कार्ड और एफिडेविट ले कर गई. लेकिन बाकी सब को एडमिशन मिल गया और मुझे नहीं मिला, फिर मैंने दिल्ली के मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी. लेकिन 10 दिन हो गया अबतक कुछ जवाब नहीं आया, अब मैंने सोचा है कि भारत के शिक्षा मंत्री को भी चिट्ठी देनी जाऊंगी, ताकि मुझे एडमिशन दे दे ताकि मैं पढाई कर सकूं और मैं अपनी फैमिली को हेल्प कर सकूं,

एडमिशन के दर-दर भटक रही है मधु
पाकिस्तान में मैंने बहुत पढ़ाई की लेकिन वहां पर पढ़ाई की कोई वैल्यू नहीं है इसलिए मैं यहां पर आई हूं. वहां पर बहुत ज्याददती होती है लेकिन मैं ज्यादा कुछ नहीं बता सकती, क्योंकि मेरी मां और भाई अभी उधर है, मुझे यहां पर कोई हेल्प नहीं कर रहा है, इसलिए मैं भारत सरकार से भी निवेदन कर रही हूं कि मुझे एडमिशन दे दो, ताकि मैं पढ़कर आगे बढ़ सकूं और देश और परिवार की सेवा कर सकूं. मैंने प्रिंसिपल सर से 10-12 बार मिली, उन्होंने कहा बेटा आप पहले इंडियन प्रूफ लाओ फिर आओ, पहले हमारा प्रूफ नहीं बनता था, लेकिन बाद में जैसे-तैसे आधार कार्ड और एफिडेविट बनवाया और स्कूल गई. लेकिन बाद में उन लोगों ने एडमिशन देने से इंकार कर दिया.

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हिन्दुस्तानी प्रूफ नहीं होने से परेशानी
मधु और उसके चाचा जवाहर का कहना है कि मेरे कई बार कोशिश करने के बाद भी स्कूल में दाखिला नहीं मिल रहा. कभी ट्रांसफर सर्टिफिकेट की मांग और कभी ओवरऐज होने की दलील देकर मधु को दाखिला नहीं दिया जा रहा है. मधु का कहना है कि सर्टिफिकेट पाकिस्तान से कैसे लाए. इस स्कूल में और बच्चों का एडमिशन हो गया है, लेकिन सिर्फ इसी बच्चे का एडमिशन नहीं हो रहा है, बहुत तरह का हमसे कागजात मांगा गया, उसमें हमने बहुते सारे कागजात दिए, लेकिन अब कह रहे हैं कि समय खत्म हो गया है, हमलोग गरीब है, प्राइवेट स्कूल में नहीं पढ़ा सकते हैं. मधु का भाई भी चाहता है कि उसकी बहन आगे पढ़े और अपने पैरों पर खड़े हो. उन्होंने कहा, 'हमने अपनी बहन के एडमिशन के लिए स्कूल के बहुत चक्कर काटे, लेकिन उसका एडमिशन नहीं हो रहा है, वह पढ़ना चाहती है, मेरी सरकार से दरख्वास्त है कि मेरी बहन का एडमिशन हो जाए और पढ़-लिख कर आगे बढ़े.

स्कूल ने मांगा भारतीय दस्तावेज
इस मामले पर 'आज तक' उस स्कूल में गया जहां मधु एडमिशन लेना चाहती है, लेकिन वाइस प्रिंसिपल साहब नहीं मिले, फिर टीम ने उनके फोन पर संपर्क साधा. राजकीय सह शिक्षा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, भाटी माइन्स ने बात करते हुए कहा, 'हम जो नियम है उसके तहत एडमिशन लेने में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन नियम के अनुसार तो चलना पड़ेगा, इस तरह के मामले में आठवीं क्लास में एडमिशन लेना हो तो आधार कार्ड और एक एफिडेविट में जरूरत की सारी जानकारी देकर आप एडमिशन ले सकते हैं, लेकिन अगर 9वीं क्लास या दशमी क्लास में प्रवेश लेनी हो तो आपको आधार कार्ड, एफिडेविट के अलावा ट्रांसफर सर्टिफिकेट देना होगा नियम के तहत, मेरे यह पूछे जाने पर की पाकिस्तानी छात्रा मधु कह रही है कि आपने पहले कहा था कि आधार कार्ड और एफिडेविट ले आओ एडमिशन हो जाएगा. इस पर प्रिंसिपल साहब ने कहा, 'मेरा क्या कहना है और मधु का क्या कहना है वह अलग बात है, नियम क्या कहता है वह ही होगा.'

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एडमिशन नहीं होने से परिवार के लोग परेशान
हैरानी की बात है कि मधु दिल्ली में चाचा के साथ जिस घर में रह रही है वहां सरकार ने बिजली और पानी का कनेक्शन मंजूर किया हुआ है. यहां तक कि घर के सदस्यों के आधार कार्ड भी बने हुए हैं. लेकिन एक बेटी की शिक्षा का जो सबसे बड़ा सवाल है, उसी से वो वंचित है. वहीं स्कूल के प्रिंसिपल का कहना है कि नियमों की वजह से उनके हाथ बंधे हुए हैं. मधु की मदद के लिए वकील अशोक अग्रवाल सामने आए हैं. सामाजिक कार्यकर्ता होने के नाते अशोक आल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन नामक संगठन भी चलाते हैं. उनका कहना है कि परिस्थितियों के चलते शिक्षा से दूर हो जाने वाले इन बच्चों के लिए सरकार नियमों पर दोबारा विचार करे. इसके लिए उन्होंने मधु के हवाले से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चिट्ठी भी लिखी है.

मधु ने लगाई मदद की गुहार
उन्होंने यह भी कहा, 'यह जो पाकिस्तानी हिन्दू है उसे पाकिस्तान में अलग-अलग तरीके से सताया जाता है, यह जो बच्ची है दो साल से यहां निजी तौर पर पढ़ाई कर रही है, और जब यह स्कूल में गई तो इसे कहा गया की आपके पास ट्रांसफर सर्टिफिकेट नहीं है और दूसरी बात यह भी कहा की आपकी उम्र 16 साल है इसलिए आपको 9वीं एडमिशन नहीं मिलेगा, यह लोग पाकिसान के सताए हुए हैं और अगर यहां कि सरकार भी उन्हें बुनयादी सुविधाएं नहीं देंगी तो यह दुख की बात है, दूसरी बात यह भी है कि जो यह पाकिस्तानी रिफ्यूजी है जो दिल्ली के अंदर रह रहे हैं उसे आप पानी का कनेक्शन दे रहे हो, बिजली का कनेक्शन दे रहे हो, घर बनाकर दे रहे हो, साथ ही साथ आधार कार्ड तक बना कर दे रहे हो और अब भारत सरकार सिटीजनशिप देने की बात कर रही हो और आप बच्चों को आप शिक्षा नहीं दे रहे तो यह बहुत बढ़ा अपराध हो रहा है देश, इसलिए मुझे लगता है इस बच्चे का एग्जाम लेकर जिस भी क्लास में फिट है उसे स्कूल के सिस्टम में लेन चाहिए, और वह भी एक लड़की को नजर अंदाज नहीं करनी चाहिए, और जब आप नारा लगाते हो बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ तो उसमे भी गड़बड़ है.

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केंद्र से हस्तक्षेप की अपील
उधर, मधु खुद भी भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्री तक अपनी बात पहुंचाना चाहती है. मधु का कहना है कि वो मंत्री से खुद मिलकर अपनी व्यथा सुनाएगी. मधु ने पाकिस्तान के स्कूल में जिस तरह का बर्ताव सहना पड़ता था, उसके बारे में भी बताया. मधु के मुताबिक वहां स्कूल में उसे और बच्चों की तरह ग्लास से पानी नहीं पीने दिया जाता था. उसे हथेलियों से ही पानी पीना पड़ता है. इसके अलावा दूसरे स्टूडेंट्स और टीचर्स भी उससे दूर ही रहते थे.

'पाकिस्तान में हिंदू होने की मिलती है सजा'
बातचीत में मधु ने कहा, 'मेरी पूरी फैमिली पाकिस्तान में है. अभी सिर्फ यहां मैं और मेरा अपना भाई है, पाकिस्तान में ज्याददती होती है, वहा बहुत कुछ होता है लेकिन मैं ज्यादा कुछ नहीं बता सकती बस स्कूल में भेदवाव करते हैं, हम लोगों को स्कूल में पानी पीने नहीं देते हैं, ग्लास में बोलते हैं हाथ से पियो, हम लोगों को जॉब भी नहीं करने देते , मैं अब अपने परिवार को यहां शिफ्ट करवाना चाहती हूं. मैं पुलिस की नौकरी कर के दूसरे की सेवा करना चाहती हूं. मुझे तो अब पाकिस्तान के बजाय हिंदुस्तान अच्छा लगता है, हमें रहने के लिए घर मिला. हम यही पढ़ना चाहती हूं. मेरे पिता जी की डेथ हो चुकी है. स्कूल में एडमिशन न मिल पाने के कारण घर पर ही रह कर पढ़ाई करती हूं.

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सवाल ये कि अब मधु पाकिस्तान में नहीं भारत की राजधानी दिल्ली में है. उसी दिल्ली में जहां से प्रधानमंत्री ने पूरे देश के लिए 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का नारा दिया है. अब देखना है कि सरहद पार से आई इस बेटी का पढ़ लिखकर कुछ बनने का ख्वाब पूरा कराने के लिए कौन आगे आता है.

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