पाकिस्तान के कव्वाल फरीद अयाज और अबू मुहम्मद फरवरी में होने वाले सूफी समारोह में अपना कार्यक्रम पेश करेंगे. तीन दिनों के इस समारोह में पाकिस्तान, अमेरिका, अफगानिस्तान और भारत के नामी गिरामी कव्वाल शिरकत करेंगे. भारत में कव्वाली गाने को लेकर उत्साही पाकिस्तानी कव्वालों में कोई खौफ या संकोच नहीं है.
कव्वाली की शुरुआत अमीर खुसरो ने हिंदुस्तान की सरजमीं पर 13वीं सदी में की. लेकिन इसकी सोंधी खुशबू पूरी दुनिया में सूफियों के जरिए फैली. मोहब्बत का पैगाम देती कव्वाली, थिरकने को मजबूर करती कव्वाली, महबूब से मिलने की ललक जगाती कव्वाली. तब से अब तक कव्वाली महबूब से मिलने की बेपनाह तड़प का इजहार करती है. आज भी सरहदें कव्वाली की तान के आगे बौनी पड़ जाती हैं.
दिल्ली के गार्डन ऑफ फाइव सेंसेज में अगले साल 12 फरवरी को तीन दिन के सूफी संगीत समारोह का आयोजन होगा. एनजीओ कृष्ण प्रेरणा चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से होने वाले इस आयोजन को प्रायोजित करने की जरूरत ना तो सरकार को महसूस हुई और ना ही किसी औद्योगिक घराने को. हालांकि दिल्ली पाकिस्तान , अफगानिस्तान, और अमेरिका तक से आने वाले कव्वालों की मेजबानी करने के लिए तैयार हो रही है.
इस उत्सव में कराची के हम्जा अकरम और तैमूर अकरम, अमेरिका से ताहिर हुसैन फरीदी, अफगानिस्तान से अहम शाम सूफी और हैदराबाद से वारसी बंधु भी कव्वालियों का समां बांधेंगे.