दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर के बाहर शुक्रवार की सुबह 100 से ज़्यादा की संख्या में अभिभावकों और शिक्षकों का दल पहुंचा. ये सभी सीटियां बजाते हुए यहां प्रदर्शन कर रहे थे. इस प्रदर्शन का कारण स्कूलों में लगातार हो रही फीस बढ़ोतरी और वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत सैलरी की मांग थी. अभिभावकों ने सीटियां बजाते हुए प्रदर्शन करने पर कहा, ये इस लिए किया जा रहा है कि सराकर इस मुद्दे पर नींद में है और उसे जगाने का प्रयास किया जा रहा है.
प्रदर्शन कर रहे अभिभावक लगातार शिक्षा मंत्री से मिलने की मांग करते रहे, लेकिन शिक्षा मंत्री से उनकी मुलाकात नहीं हो पाई. अभिभावक संघ की तरफ़ से विरोध प्रदर्शन में शामिल अनामिका ने कहा कि स्कूल की मनमानी पर सरकार रोक नहीं लगा पाई है. हर साल स्कूल फीस में 10 फीसद की बढ़ोतरी कर देते हैं.
बच्चों के एजुकेशनल टूर के नाम पर जो रुपए लिए जोते हैं उसकी स्लिप भी नहीं दी जाती. कई अभिभावकों की शिकायत है कि स्कूल यूनिफॉर्म से लेकर फेयर चार्ज जैसे कई ग़ैरज़रूरी चीज़ों पर भी मनमानी रकम वसूलते हैं. कई शिकायतें शिक्षा निदेशालय को सौंपी गई, लेकिन उन पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.
इतना ही नहीं विरोध प्रदर्शन में शामिल शिक्षकों के समूह ने भी अभिभावकों का समर्थन किया. शिक्षक संघ ने कहा कि हमें अभी तक छठवें वेतन आयोग की सिफ़ारिशों के मुताबिक तनख़्वाह नहीं मिली है, जबकि सातवां वेतन आयोग भी लागू हो गया है. अभिभावकों का कहना है कि जब शिक्षकों को छठवें वेतन आयोग के हिसाब से तनख़्वाह नहीं मिल रही है तो स्कूल सातवें वेतन आयोग के नाम पर फीस में बढोतरी कैसे कर सकते हैं.
फीस बढ़ोतरी पर मिली शिकायतों पर केजरीवाल ने बुलाई थी बैठक
फीस बढ़ोतरी को लेकर एक तरफ अभिभावकों का गुस्सा है तो दूसरी तरफ 7वें वेतन आयोग के नाम पर प्राइवेट स्कूलों द्वारा फीस बढ़ाने की शिकायतों पर दिल्ली सरकार सख्त नजर आ रही है. गुरुवार को ही दिल्ली सचिवालय में मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ इस मसले पर बैठक की थी. दिल्ली सरकार के मुताबिक़ प्राइवेट स्कूलों द्वारा 7वें वेतन आयोग के नाम पर मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने और एरियर वसूलने की शिकायतें मिली हैं, लिहाज़ा 22 दिसंबर को मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री सभी विधायकों और शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे.
दिल्ली सरकार ने अपने सभी विधायक से कहा है कि वो अपने-अपने क्षेत्रों के प्राइवेट स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वसूलने संबंधी शिकायतें लेकर बैठक में आएं. कयास लगाए जा रहे हैं कि 22 दिसंबर को होने वाली बैठक के बाद सरकार मनमानी फीस बढ़ाने वाले स्कूलों पर सख्त कार्रवाई कर सकती है.