बढ़ती महंगाई से पहले से ही परेशान दिल्ली-एनसीआर के लोगो में मेट्रो का किराया बढ़ने से खासी नाराज़गी है. मेट्रो आज दिल्ली एनसीआर के लोगों की लाइफलाइन बन चुकी है. मेट्रो के आने से गुरुग्राम से दिल्ली-नोएडा जाना बेहद आसान हो गया है.
समय और पैसे की बचत को देखते हुए कॉलेज स्टूडेंट्स से लेकर दफ्तर आने-जाने वाले रोज़ मेट्रो का ही सहारा लेते हैं. पर कुछ ही महीनों के अंतराल में मेट्रो के किराए में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिससे रोज सफर करने वालों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ज्यादा नाराज़गी कॉलेज जाने वाले स्टूडेंट्स में है, जिनकी पॉकेट मनी तो नही बढ़ रही, पर खर्चे दोगुने हो गए हैं.
हुडा सिटी सेंटर से नोएडा सिटी सेंटर के मेट्रो स्टेशन तक जब हमने लोगों से बात की तो उनकी नाराज़गी साफ दिखी.
हुडा सिटी सेंटर
गुरुग्राम के आखिरी स्टेशन हुडा सिटी सेंटर पर सुबह हो या शाम लोगों की जबरदस्त भीड़ रहती है. दिल्ली से गुरुग्राम रोज सफर करने वालों के लिए मेट्रो सबसे आसान तरीका है. पर अब नोएडा से गुरुग्राम का किराया 50 रुपए से अधिक हो गया है. नोएडा से गुरुग्राम आने वाले दीपक गुप्ता ने कहा, 'ये तो गरीबी में आटा गीला करने वाली बात हो गई, अब तो एक तरफ का ऑटो और मेट्रो का किराया मिला कर 100 रुपये से ज्यादा हो गया है. ऐसे में घर चलना मुश्किल हो गया है. अब तो लगता है कि प्राइवेट टैक्सी शेयर करनी पड़ेगी, और ट्रैफिक में फसना होगा.'
साकेत
साकेत मेट्रो पर साकेत मॉल जाने वालों से लेकर साकेत हॉस्पिटल और आसपास के दफ्तर और कॉलेज जाने वालों का तांता लगा रहता है. लोगबाग दूर-दूर से मेट्रो के सहारे यहां पहुंचते हैं. इनमें दिहाड़ी मजदूरों से लेकर मध्यम वर्गीय लोगों की तादात ज्यादा है. मॉल में एक पार्लर में काम करने वाली नेहा का कहना है, 'मैं रोज हुडा सिटी सेंटर से यहां तक आती हूं. मजबूरी में काम करना पड़ रहा है.12 घंटे काम करने पर 15 हज़ार मिलते हैं, जिस हिसाब से कुछ ही महीनों में मेट्रो का किराया बढ़ा है, अब मुझे दोगुने पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं. घर का बजट हिल गया है, बचत न के बराबर हो गई है.'
राजीव चौक मेट्रो स्टेशन
दिल्ली का दिल है कनॉट प्लेस और यहां के राजीव चौक मेट्रो से ही ज्यादातर लोग अलग-अलग मेट्रो लाइन पकड़ लेते हैं. यहां भी हर तरह के लोग मिल जाएंगे. यहां भी लोगों में रोष दिखा. खास तौर पर युवाओं में जिनकी महीने की कोई कमाई नही है.' एक ऐसे ही नौजवान ने कहा, 'डेवलपमेंट के नाम पर हमें लूट लिया, अभी हम पढ़ रहे हैं, लिहाजा घर से पैसे लेने पड़ते है. शर्म आती है मांगने में और महंगाई का आलम यह है कि अब तो महीने का जेब खर्च भी कम पड़ रहा है. अब मेट्रो का किराया मैनेज करना मुश्किल हो रहा है.'
नोएडा सेक्टर 15
नोएडा में लगभग सभी बड़ी कंपनियों के दफ्तर हैं, यहां मेट्रो से सफर करने वाले ज्यादातर लोग कामकाजी हैं. ट्रैफिक से निजात पाने और समय और पैसों की बचत के लिए ही लोग मेट्रो का रुख करते है. अब सभी परेशान हैं.
वैसे तो मेट्रो का किराया 5 साल बाद बढ़ाया गया है, लेकिन कुछ ही महीने में दूसरी बार हुई वृद्धि ने लोगों का मेट्रो के प्रति मोह भंग कर दिया है. अब ज्यादातर रास्तों पर पैसे दोगुने लग रहे हैं, जिससे लोगो में नाराज़गी है.