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GST रेट के कंफ्यूजन में मरीज को डिस्चार्ज करने में देरी

परिवार के मुताबिक अस्पताल ने मरीज को डिस्चार्ज करने में चार घंटे लगा दिए. परिवार का आरोप है कि डिस्चार्ज ना करने के पीछे अस्पताल ने इस बात का हवाला दिया कि उन्हें GST की सही दरों को लेकर कन्फ्यूजन है.

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पीड़ित मरीज
पीड़ित मरीज

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देश में 1 जुलाई से लागू हुए GST के कन्फ्यूजन से अस्पताल भी अछूते नहीं हैं. नई दिल्ली के एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराना गुप्ता परिवार के लिए मुसीबत बन गया. परिवार ने आरोप लगाया है कि उनके रिश्तेदार प्रेमप्रकाश गुप्ता की आंखों का ईलाज 11 बजे शुरू हुआ और 1 बजे खत्म हुआ, लेकिन बिलिंग में GST कंफ्यूजन की वजह से डिस्चार्ज नहीं किया गया.

परिवार के मुताबिक अस्पताल ने मरीज को डिस्चार्ज करने में चार घंटे लगा दिए. परिवार का आरोप है कि डिस्चार्ज ना करने के पीछे अस्पताल ने इस बात का हवाला दिया कि उन्हें GST की सही दरों को लेकर कन्फ्यूजन है. अस्पताल ने परिवार को कहा कि 'लेंस के ऊपर GST किस रेट से लगेगा इसकी जानकारी नहीं है.' मरीज के रिश्तेदार देवेंदर बताते हैं कि जब उन्होंने नाराज़गी जताई तब जाकर 5 बजे बिल दिया गया और मरीज को डिस्चार्ज किया.

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परिवार ने अस्पताल पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है. खुद मरीज ने बताया कि वो कतर से दिल्ली इलाज कराने के लिए आए थे. परेशानी बताते हुए मरीज प्रेम प्रकाश ने कहा कि सुबह 8 बजे वो घर से इलाज के लिए निकले थे और डिस्चार्ज होने में लेट-लतीफी की वजह से उन्हें शाम 5 बजे तक भूखा रहना पड़ा.

परिवार के मुताबिक अस्पताल में इलाज कराने आये काफी लोगों को GST दरों के कन्फ्यूजन की वजह से परेशानी झेलनी पड़ी. हैरानी की बात है कि जो बिल मरीज को दिया गया उसमें टैक्स का जिक्र तक नहीं है. हालांकि जब अस्पताल के अधिकारियों से संपर्क किया गया तो उन्होंने ऑन कैमरा बात तो नहीं की लेकिन ये जरूर कहा कि इलाज के लिए जो पैकेज चुना गया उसमें टैक्स लगता ही नहीं है. परिवार का कहना है कि जब टैक्स लगता ही नहीं तो अस्पताल ने सही वक्त पर डिस्चार्ज क्यों नहीं किया.

 

 

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