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दिल्ली महिला आयोग के कर्मचारियों को दो दिन में जारी करें 50 फीसदी बकाया वेतनः HC

गुरुवार शाम को जहां उपराज्यपाल के इस्तीफे की खबर मीडिया की बड़ी सुर्खी बनी हुई थी, वहीं हाई कोर्ट ने उपराज्यपाल के उस आदेश पर कड़ी नाराजगी जताई जिसमें दिल्ली महिला आयोग के स्टाफ का वेतन रोक दिया गया है. हाई कोर्ट ने उपराज्यपाल के निर्णय को गलत ठहराते हुए कहा कि अगर कर्मचारियों की नियुक्ति में अनियिमितताएं बरती गई हैं और नियुक्तियां गैरकानूनी हैं तो उसे रद्द किया जाए, न कि कर्मचारियों का वेतन रोका जाए.

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दिल्ली महिला आयोग के स्टाफ का वेतन रोकने पर हाई कोर्ट नाराज
दिल्ली महिला आयोग के स्टाफ का वेतन रोकने पर हाई कोर्ट नाराज

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गुरुवार शाम को जहां उपराज्यपाल के इस्तीफे की खबर मीडिया की बड़ी सुर्खी बनी हुई थी, वहीं हाई कोर्ट ने उपराज्यपाल के उस आदेश पर कड़ी नाराजगी जताई जिसमें दिल्ली महिला आयोग के स्टाफ का वेतन रोक दिया गया है. हाई कोर्ट ने उपराज्यपाल के निर्णय को गलत ठहराते हुए कहा कि अगर कर्मचारियों की नियुक्ति में अनियिमितताएं बरती गई हैं और नियुक्तियां गैरकानूनी हैं तो उसे रद्द किया जाए, न कि कर्मचारियों का वेतन रोका जाए.

कोर्ट ने वेतन रोकने को ठहराया गलत
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में आयोग को इन सभी 62 कर्मचारियों को तुंरत प्रभाव से दो माह का वेतन प्रदान करने का निर्देश दिया है. अदालत ने कहा कि कर्मचारी लंबे अरसे से काम कर रहे हैं. अब तक उन्हें वेतन भी दिया जा रहा था तो अब अचानक उनका वेतन कैसे रोका जा सकता है?

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दिल्ली सरकार ने वेतन दिया जाने का किया समर्थन
कोर्ट के पूछने पर दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि सरकार का मानना है कि इस तरह वेतन रोका नहीं जाना चाहिए. कुछ शर्तों के साथ वेतन जारी किया जाए. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को सितंबर से अब तक वेतन नहीं मिला. उन्होंने कहा यह कोई करोड़ों का मामला नहीं है, ऐसे में कर्मचारियों को सितंबर से दिसंबर महीने तक यानी चार माह का वेतन दे दिया जाना चाहिए.

50 फीसदी वेतन देने का आदेश जारी
उपराज्यपाल के वकील ने इस पर आपत्ति जताई. लेकिन हाई कोर्ट ने उनके तर्क को खारिज करते हुए चार माह के वेतन की 50 प्रतिशत राशि देने का निर्देश जारी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि इस तरह मात्र दो माह का ही वेतन बनता है. कोर्ट ने आयोग को दो दिनों में यह वेतन जारी करने का निर्देश दिया है.

कर्मचारियों को हटाने से ठप्प पड़ जाएगा काम
उपराज्यपाल की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कहा कि दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा मामले में जांच कर रही है. शाखा ने जांच में पाया कि नियुक्तियों में अनियिमिततांए बरती गई हैं. वहीं, आयोग की अध्यक्ष स्वाती मालीवाल ने अदालत को बताया कि आयोग ने तय नियमों का पालन करते हुए एसिड पीड़ितों सहित कई अन्य पीड़ितो की नियुक्ति की है. ये लोग रेप पीड़ित सेल, उनके पुनर्वास सेल, महिला पंचायत, मोबाइल हेल्प लाइन इत्यादि सेल में काम कर रहे हैं और अगर इनको हटाया गया तो आयोग का काम ही ठप पड़ जाएगा.

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