दिल्ली के गोकुलपुर गांव के लोगो की मुश्किलें कम होने का नाम नही ले रहीं. पहले मकानों में आई दरार और धंसती नींव के चलते इनकी जिंदगियां रातोरात बदल गई और अब ये अपने खून पसीने की कमाई जोड़-जोड़ के बनाये आशियाने को छोड़ने पर मजबूर हैं. दरअसल इस इलाके में जल बोर्ड ने सीवेज लाइन बिछाने का जिम्मा एक निजी कंपनी को सौपा था और सारे नियम-कायदे को ताख पर रख कर कंपनी ने सीवेज लाइन इनके घरों के नीचे से निकाल दी.
जब इनके घरों के नीचे सुरंग खुदाई का काम शुरू हुआ तो घरो की दीवारें और नींव पूरी तरह जर्जर हो गईं. बिना सूचना के शुरू हुए इस कार्य ने इनकी नींदें उड़ा दीं और जैसे-तैसे गिरती दीवारों को जैक और बल्लियों के सहारे रोका गया. कड़ी मशक्कत के बाद किसी तरह प्रशासन ने इनकी सुध ली और इनके घरों को दोबारा बना के देने का वायदा किया है. एडीएम ने गांव के प्रभावित घरों को तुरंत खाली करने का आदेश दिया है, जिसके बाद घरों को सील करके उसका मुआयना किया जाएगा. एमसीडी अधिकारियों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो मुआयने के बाद अपनी रिपोर्ट देंगे जिसके आधार पर इनके घरों को दोबारा बनाने का काम शुरू होगा.
सालों से तिनका-तिनका जोड़ के बनाया गया आशियाना मिनटों में उजाड़ दिया गया. 15 सदस्यों वाले एक परिवार के मुखिया प्रकाश ने कहा, 'सब बर्बाद हो गया, एक हफ्ते पहले तक हमें इस बात का इल्म नही था कि हमें अपना घर यूं छोड़ना पड़ेगा, हम मकान मालिक से किरायदार बन गए. रोजगार छीन गया और बच्चों की पढ़ाई छुट गई.'
रातोरात गोकुलपुर गांव के गली नंबर 8 और 9 के बाशिंदों की किस्मत बदल दी गई. अपने आशियाने को छोड़कर यह कम्युनिटी सेंटर या किराये के मकान में तब तक रहने को मजबूर हैं, जब तक उनका घर उन्हें वापस नही मिल जाता. अचानक आए इस परिवर्तन से असली जंग तो उस वक़्त शुरू होगी, जब ये अपनी रोजी-रोटी छोड़ कर किराये के घरों में रहना शुरू करंगे. यहां गौर करने वाली बात ये है कि दोबारा घर मिलने का इनको सिर्फ आश्वासन मिला है. घर मिलेगा या नही ये अभी तय नही किया गया है.