भाई-बहन के प्यार का प्रतीक रक्षाबंधन के त्योहार की रौनक बाजारों में नजर आ रही हैं. रंग-बिरंगी राखियों की रौनक से बाजार गुलजार हैं. इस बार बाजार में मौली, चंदन, मोती, स्टोन जैसी राखियों की रौनक ज्यादा नजर आ रही है. ये सभी राखियां कलावे के लाल और पीले धागे में गुथी हुई हैं जिस पर अलग-अलग कलाकारी हुई हैं.
इस बार बाजार की गुलजार से चाइनीज राखियां लगभग गायब हैं. लाइट वाली, रबर वाली, चाइनीज़ राखियां बिक तो रही हैं लेकिन दुकानदार अपनी दुकानों में नहीं रख रहे. दुकानदारों की मानें तो चाइनीज़ आइटम पर ज्यादा कस्टम डयूटी लगने के कारण उन पर ज्यादा मुनाफा कमाना मुश्किल हो गया है.
बॉर्डर पर चीन की नापाक हरकतों का पता देश के हर तपके में हैं और शायद इसीलिए इस बार अमीर हो या गरीब सिर्फ भारतीय धागों में बिंधी सांस्कृतिक राखियां ही खरीद रहे हैं. लोगों ने तो यहां तक कह डाला कि सरकार को चीन से व्यापार ही बंद कर देना चाहिए.
कुछ दुकानदार पटरियां लगाकर, एलईडी जड़ित चमकीली राखियां, और सिंपल नग जड़ित धागे वाली चाइनीज़ राखियों का धंधा तो कर रहे हैं लेकिन उनकी भी मानें तो उनका धंधा बहुत मंदा है क्योंकि इन राखियों की कोई डिमांड नहीं है.
भारतीय त्योहारों की नब्ज पकड़कर चीन हर तरह के सस्ते आइटम बनाता है और भारतीय बाजारों में खूब बिकता भी है. लेकिन इस बार की राखी चाइनीज़ राखियों के बॉयकॉट के साथ मनाने की बात लोग ठान चुके हैं.