दिल्ली विधानसभा में विधायकों ने हंगामे के अलावा मंगलवार को पिटीशन कमेटी पर चर्चा हुई. विधायकों ने इन कमेटियों को भंग करने वाली विपक्ष की मांग पर ऐतराज जताया है. चर्चा के दौरान डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने भी विपक्ष पर सवाल खड़े करते आपत्ति दर्ज की. जिसके बाद सदन ने विपक्ष नेता विजेंद्र गुप्ता की मांग को प्रिविलेज कमेटी को भेज दिया.
विधानसभा की कमेटियों को लेकर नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता के बयान पर सदन में सत्ताधारी पार्टी के विधायकों ने खूब हंगामा काटा. नेता विपक्ष के प्रेस रिलीज की कॉपी को सदन में लहराते हुए 'आप' विधायकों ने माफी की मांग रखी. विपक्ष की गैरमौजूदगी में मामले को प्रिविलेज कमेटी के पास भेजे जाने पर सदन में जमकर चर्चा हुई. आपको बता दें कि विजेंद्र गुप्ता ने एलजी से मिलकर विधानसभा की कमेटी की शिकायत कर इन्हें भंग करने का मामला उठाया था.
विधानसभा में चर्चा का जवाब उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिया. जवाब में सिसोदिया ने सिर्फ विजेंद्र गुप्ता नहीं बल्कि पूरे बीजेपी को कटघरे में खड़ा किया. सिसोदिया ने गुप्ता के बयान को सदन और संविधान का अपमान करार दिया. सिसोदिया ने सदन को बताया कि ये कमेटियां दिल्ली के लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए है. संसद में भी कमेटियां हैं. हाउस की कमेटी को लेकर सांसदों में भी अच्छी भावना होती है. हाउस तो साल में 2 से 4 बार बैठती है पर समितियां निरंतर लोकतंत्र को आगे बढ़ाती है. दूसरे देशों में भी सांसदों और विधायकों की कमेटियां एजेंसियों के काम की समीक्षा करती हैं और उसका सम्मान होता है.
आगे सिसोदिया ने बताया कि हाल ही में पिटिशन कमेटी ने पीडब्ल्यूडी के काम की समीक्षा की थी. क्योंकि सरकार बजट पास करती है तो देखना जरूरी है कि काम हुआ या नहीं. इसके अलावा इन कमेटियों ने सरकारी अस्पतालों में दवाई बांटने और विज्ञापन के काम की समीक्षा भी की है. ठेकेदार की कमी के खिलाफ समिति सरकार को रिपोर्ट दे रही है और सरकार उस पर कार्रवाई कर रही है तो नेता विपक्ष को क्या परेशानी है. विपक्ष को लोकतंत्र की समझ नहीं है या गड़बड़ करने वालों से इनकी मिलीभगत है, तभी विपक्ष को मिर्ची लगी है.
उधर नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने इसे सत्ताधारी पार्टी की बौखलाहट करार दिया है. विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि उन्होंने जो कुछ भी बयान दिया वो एडिशनल सॉलिसिटर जनरल की टिप्पणी पर आधारित था. गुप्ता ने कहा कानूनी राय लेकर ही आगे की कार्रवाई करेंगे. बहरहाल, कमेटियों के खिलाफ नेता विपक्ष के बयान पर कार्रवाई का जिम्मा विधानसभा की कमेटी के पास ही भेज दिया गया है. अब नजर इस बात पर होगी कि जिस कमेटी के अस्तित्व पर विजेंद्र गुप्ता सवाल उठा चुके हैं उसकी कार्रवाई कितनी कारगर होगी.