सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में नई आबकारी नीति को लेकर थोक लाइसेंस नियमों में दखल देने से इनकार कर दिया है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब इस मामले की सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट कर ही रहा है तो ऐसे में हम फिलहाल दखल नहीं देंगे. दरअसल, शराब के एक निजी थोक व्यापारी ने दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के L1 लाइसेंस नियम पर रोक लगाने की मांग करते हुए SC का रुख किया था.
याचिकाकर्ता ने इस नियम पर रोक लगाने की मांग की है कि L1 लाइसेंस केवल उन्हीं संस्थाओं को दिया जाएगा जिनके पास भारत के किसी एक राज्य में पांच साल का थोक वितरण अनुभव है. साथ ही जिनका सालाना कारोबार पिछले तीन वर्षों में प्रत्येक 250 करोड़ रुपये हो.
दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के अनुसार, जिसे 10 सितंबर को जारी किया गया था, L1 लाइसेंस जारी करने के लिए सख्त शर्तों की सिफारिश की गई है. इसके तहत निजी शराब की दुकानें 2021-22 आबकारी नीति के तहत 17 नवंबर से काम करना शुरू कर देंगी. तब सभी मौजूदा सरकारी शराब की दुकानें स्थायी रूप से बंद हो जाएंगी.
याचिकाकर्ता अनीता चौधरी ने थोक विक्रेताओं के लिए नए नियमों पर रोक लगाने के लिए शुरुआत में दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था. लेकिन उनके मामले को बार-बार स्थगित करने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने मामले को 18 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है, जबकि नए नियम 17 नवंबर से लागू होंगे. ऐसे में उनकी याचिका को निष्प्रभावी हो जाएगी.
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता को शराब के थोक और वितरण में 3 साल से अधिक का अनुभव है. 5 साल के पूर्व अनुभव की आवश्यकता पर नए नियम दिल्ली उत्पाद अधिनियम, 2009 के दायरे से बाहर हैं और सरकार के लिए इस तरह से नए नियम जोड़ना अवैध है.