दिल्ली की एक कोर्ट ने एक शख्स को रेप के आरोपों से बरी करते हुए कहा कि अगर महिला की सहमति के बगैर भी उसका पति उससे शारीरिक संबंध बनाता है तो उसे रेप नहीं कहा जा सकता.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) वीरेंद्र भट्ट ने एक महिला से रेप के आरोपी शख्स को बरी करते हुए यह टिप्पणी की. महिला आरोपी के किराएदार के तौर पर रह रही थी. बरी किए गए शख्स पर आरोप था कि उसने महिला को कोई नशीली चीज पिला कर उसका रेप किया था.
इस शख्स पर शिकायतकर्ता महिला से शादी करने के बाद भी उससे रेप करने का आरोप था. कोर्ट ने कहा, ‘यह शिकायतकर्ता का ही कहना है कि आरोपी ने 20 जुलाई 2012 को एक मौलवी की मौजूदगी में अपनी बुआ के घर में उससे निकाह किया.’
कोर्ट ने कहा, ‘शिकायतकर्ता और आरोपी 20 जुलाई 2012 के बाद से कानूनी तौर पर शादीशुदा पति-पत्नी थे और उसके बाद दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बने. अगर शारीरिक संबंध में शिकायतकर्ता महिला की सहमति नहीं थी तो भी इसे रेप नहीं कहा जा सकता.’
कोर्ट ने दिल्ली के रहने वाले आफताब आलम को यह कहते हुए बरी कर दिया कि महिला की गवाही ‘संदिग्ध’ थी और उसे ‘विश्वसनीय’ नहीं माना जा सकता.