दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि पराली जलाने से रोकने को लेकर कोई ठोस योजना के साथ हलफनामा दायर करे. प्रदूषण के मुद्दे पर एक याचिकाकर्ता ने अर्जी दाखिल की थी, जिस पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने कहा कि सरकार के हलफनामे में अगले साल की योजना को लेकर कोई प्लान नहीं है. गौर करने वाली बात यह भी है कि किसानों के साथ बातचीत में सरकार किसानों को पराली जलाने की छूट दे चुकी है. इसे अपराध की श्रेणी से भी हटा दिया गया है.
इससे पहले, दिल्ली विधानसभा की पर्यावरण समिति ने शहर में मैनुअल सफाई के कारण धूल और वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए सोमवार को तीनों एमसीडी के कमिश्नर को तलब किया. बैठक के बाद पर्यावरण समिति की अध्यक्ष आतिशी ने कहा कि यह बहुत ही चौंकाने वाला है कि दिल्ली के निगम आयुक्तों को अपने अधिकार क्षेत्र के तहत सड़कों की लंबाई के बारे में कोई जानकारी नहीं है, वे कोई सही योजना पेश नहीं कर सके. दिल्ली विधानसभा की पर्यावरण समिति के मुताबिक मैकेनिकल सफाई करने वाले ठेकेदार द्वारा निर्धारित क्षेत्र की सफाई नहीं करने की स्थिति में जुर्माने की कोई व्यवस्था भी नहीं है.
दिल्ली विधानसभा की पर्यावरण समिति ने कहा है कि बैठक में अधिकारियों को एनजीटी के आदेशों की पूरी जानकारी नहीं थी. वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए आयोजित बैठक में कहा गया कि दिल्ली में सड़क की धूल, वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है. एनजीटी के आदेशों के अनुसार सभी एमसीडी को मैनुअल स्वीपिंग से होने वाली एसपीएम को कम करने के लिए एमआरएस मशीनों का उपयोग करने के लिए निर्देशित किया गया था.
जब सड़कों की लंबाई के आधार पर सफाई के नियमों को लेकर सवाल किया गया तो अधिकारी कुल मशीनों की संख्या, अनुबंध के आधार पर काम करने के मापदंड से अनजान थे. इस संबंध में समिति ने तीनों निगमों को 7 दिन में विस्तृत योजना प्रस्तुत करने के लिए कहा है.