ट्रेनों की धुलाई के लिए निकाले जा रहे ग्राउंड वाटर पर दिल्ली मेट्रो के खिलाफ याचिका पर जवाब न देने पर एनजीटी ने दिल्ली जल बोर्ड पर दो हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. एनजीटी ने निर्देश दिए है कि
जल बोर्ड ये रकम दो हफ्ते में एनजीटी विधिक सेवा कमेटी के पास जमा करवाए.
एनजीटी ने लगाई दिल्ली जल बोर्ड को फटकार
एनजीटी ने जल बोर्ड को फटकार लगाते हुए कहा कि उसने 22 अगस्त को तीन दिन के भीतर इस बारे में जानकारी पेश करने की बात कही थी. लेकिन अभी तक रिपोर्ट नहीं दी गई. एनजीटी ने कहा कि विभाग बार-बार
ऐसे हल्के बयान दे रहा है जिसे वो पूरा नहीं कर पाता. पर्यावरण मंत्रालय ने एनजीटी को बताया था कि सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी को ग्राउंड वाटर को नियंत्रित करने का अधिकार है. फिर वो ग्राउंड वाटर डीएमआरसी,
किसी और इंड्रस्टी या प्रोजेक्ट पर काम करने वाली कंपनी द्वारा किया जा रहा हो.
मंत्रालय का कहना था कि पर्यावरण अधिनियम के सेक्शन 3 के तहत सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी को यह अधिकार दिया गया है. सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी को देश में पानी के संसाधनों को नियंत्रित, विकास व उनका रखरखाव करने का अधिकार है.
DMRC पर ग्राउंड वाटर का दुरुपयोग करने का आरोप
एनजीटी याचिकाकर्ता कुश कालरा की उस याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें डीएमआरसी पर ग्राउंड वाटर के बेजा इस्तेमाल का आरोप लगाया गया है. याचिकाकर्ता के मुताबिक डीएमआरसी अपनी ट्रेन के डिब्बे धोने
के लिए ग्राउंड वाटर का इस्तेमाल कर रही है. इस पानी की जगह दूषित पानी को रिसाइकिल कर इस काम में लाया जा सकता है. डीएमआरसी को ग्राउंड वाटर निकालने के लिए अथॉरिटी से इजाजत भी नहीं मिली है जो
गैरकानूनी और पर्यावरण नियमों के भी खिलाफ है.