दिल्ली के मुख्यमंत्री को लेकर सस्पेंस अब भी बरकरार है. दिल्ली की जनता ने 8 फरवरी को अपना जनादेश दिया. दिल्ली वालों ने प्रधानमंत्री मोदी के वादों पर भरोसा किया और BJP ने 8 फरवरी को इतिहास बना दिया. 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता बीजेपी को सौंपी लेकिन 10 दिन बाद भी BJP मुख्यमंत्री के नाम की जगह उसे चुने जाने की तारीख और समय बता रही है. ऐसे में दिल्ली वालों को इंतजार है कि उनसे प्रधानमंत्री मोदी के जरिए किए गए वादों को दिल्ली में कौन पूरा करेगा? अब दिल्ली में बुधवार 19 फरवरी को BJP विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री चुना जाएगा और गुरुवार को मुख्यमंत्री रामलीला मैदान में शपथ लेगा.
प्रधानमंत्री मोदी बता चुके हैं कि दिल्ली में BJP सरकार सबसे पहले यमुना का पानी स्वच्छ बनाएगी फिर रिवर फ्रंट और ग्रीन कॉरिडोर बनाएगी. वॉटर मेट्रो की संभावना से प्रधानमंत्री मोदी ने इनकार नहीं किया यानी पीएम मोदी के दिमाग में दिल्ली के विकास के ब्लू प्रिंट को लेकर कोई कन्फ्यूजन नहीं है. बस अब सवाल उस चेहरे को लेकर बचा है, जो राजधानी में BJP के इन वादों को जमीन पर उतारेगा. आखिर दिल्ली में अमदाबाद जैसा रिवरफ्रंट बनाने की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री मोदी किसके कंधों पर डालेंगे? वो कौन होगा जो दिल्ली में अहमदाबाद की तरह रिवरफ्रंट बनाकर देश की राजधानी को नया प्रतीक देने का काम करेगा?
दिल्ली वाले किए गए वादों को पूरा होते देखने को बेताब हैं लेकिन उनकी पहली प्राथमिकता उस चेहरे को जानने की है, जिसके नेतृत्व में 27 साल बाद BJP की सरकार बनेगी. दिल्ली में सीएम कौन होगा, इस पर सस्पेंस बनाया हुआ है. जिसने चुनाव हार चुकी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को BJP पर हमला करने का मौका दे दिया है. AAP लगातार बीजेपी पर निशाना साध रही है कि पार्टी सीएम चुनने में इतना समय क्यों लगा रही है.
20 फरवरी को रामलीला मैदान में शपथ ग्रहण समारोह
BJP भले ही सीएम का नाम नहीं बता रही हो लेकिन उसके शपथ ग्रहण की जोर शोर से तैयारियां चल रही हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि बुधवार को होने वाली विधायक दल की बैठक में सीएम के नाम का ऐलान किया जा सकता है, जो 20 फरवरी को सुबह 11.30 बजे रामलीला मैदान में शपथ लेगा. इससे पहले शाम 4.30 बजे ये कार्यक्रम होना था. तो बीजेपी की तरफ से शपथ की तारीख वक्त और जगह मुकर्रर कर दी गई है. रामलीला मैदान में शपथ के लिए तंबू गढ़ने भी शुरू हो गए हैं. लेकिन विपक्ष मुख्यमंत्री के नाम में हो रही देरी को लेकर लगातार सवाल उठा रहा है.
जीत के बाद मुख्यमंत्री के नाम के ऐलान में वक्त लेना BJP का ट्रेडमार्क बन गया है. चाहे पहली बार साल 2014 में महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के नाम का ऐलान हो या फिर योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश की कमान सौंपकर चौंकाना. BJP न सिर्फ मुख्यमंत्री चुनने में वक्त लेती है. बल्कि अपने मुख्यमंत्री से सबको हैरान भी करती रही है. इसीलिए BJP विपक्ष के हमलों को भाव नहीं दे रही और आम आदमी पार्टी के जख्मों पर नमक रगड़ने से नहीं चूक रही.
क्या दिल्ली में भी जारी है बीजेपी का पुराना ट्रेंड?
ओडिशा में BJP ने मुख्यमंत्री का नाम बताने में 7 दिन लिए. नौवें दिन राजस्थान में भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री पद दिए जाने पर मुहर लगी थी. इसी तरह मध्य प्रदेश में मोहन यादव का नाम तय होते-होते 8 दिन बीत गए थे. छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री चुनने में BJP को 7 दिन लग गए थे लेकिन दिल्ली में ये सारे रिकॉर्ड टूट गए हैं और 11वें दिन मुख्यमंत्री के नाम का पता चलेगा. बड़ी बात ये है कि अभी तक सभी राज्यों में BJP हाईकमान ने जितनी देर फैसला करने में लगाया, मुख्यमंत्री का नाम उतना ही चौंकाने वाला सामने आया. तो क्या दिल्ली में भी BJP ऐसा करेगी?
बुधवार को बीजेपी के विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लगाएगी लेकिन आम आदमी पार्टी का कहना है कि पीएम मोदी को अपने 48 विधायकों में से कोई भी सीएम के काबिल नजर नहीं आ रहा. मोदी राज में BJP मुख्यमंत्री को लेकर सस्पेंस बनाकर रखती रही है. दिल्ली में भी इस बार भी यही हो रहा है, जहां BJP हर सियासी दांवपेंच को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ना चाहती है.
दिल्ली का असर सारे देश पर होता है. इसलिए BJP सोच समझकर मुख्यमंत्री चुनना चाहती है. BJP के खेमे से 5 नाम सामने आ रहे हैं, जिसमें प्रवेश वर्मा, रेखा गुप्ता-विजेंदर गुप्ता सतीश उपाध्याय और आशीष सूद शामिल हैं.
दिल्ली में बीजेपी के जीते 48 विधायकों में से मोदी किसे मुख्यमंत्री बनाएंगे, इस पर सबकी नजरें हैं. सवाल ये है कि क्या मोदी दिल्ली के मुख्यमंत्री को पहले ही चुन चुके हैं? या फिर ये काम अभी बाकी है, क्योंकि मामला दिल्ली का है. जहां से सारे देश में संदेश जाता है. दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए 5 नाम आगे बताए जा रहे हैं, जो उम्र-तजुर्बा और पार्टी से जुड़े रहने के आधार बाकियों पर भारी हैं.
सीएम रेस में ये पांच नाम चल रहे आगे
सूत्रों की मानें तो बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने दिल्ली का सीएम किसको बनाया जाएगा, इसका फैसला कर लिया है. यानी केंद्रीय नेतृत्व दिल्ली के सीएम का नाम फाइनल कर चुकी है. लेकिन इंतज़ार दिल्ली की जनता को है. आखिर वो कौन सा चेहरा है, जिसको दिल्ली की कमान सौंपी जाएगी. इन मुख्यमंत्री के दावेदारों में पहला नाम रेखा गुप्ता का है, जो 50 साल की हैं और शालीमार बाग से जीती हैं. दिल्ली बीजेपी की महासचिव और महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. दूसरा नाम 47 साल के प्रवेश वर्मा का है, जो नई दिल्ली से अरविंद केजरीवाल को मात देकर जीते हैं. प्रवेश वर्मा 115.65 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं, और उन पर 1 क्रिमिनल केस है.
लिस्ट में तीसरा नाम विजेंदर गुप्ता का चल रहा है. 61 साल के विजेंदर गुप्ता ने रोहिणी सीट से हैट्रिक लगाई है. वो आम आदमी पार्टी की लहर में भी जीते हैं. उनके पास 16.1 करोड़ की संपत्ति है और 4 क्रिमिनल केस दर्ज हैं. विजेंद्र गुप्ता दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष भी रह चुके हैं. इस तरह तजुर्बे के मामले में वो बाकियों से काफी आगे हैं. दावेदारों में चौथा नाम आशीष सूद का चल रहा है. उम्र 58 साल है और जनकपुरी सीट से विधायक हैं. वह राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के करीबी हैं और गोवा के प्रभारी है. प्रमुख पंजाबी नेता और संघ के करीबी माने जाते हैं. पांचवा नाम सतीश उपाध्याय का चल रहा है. मालवीय नगर से 62 साल के विधायक दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष रह चुके हैं. सेंसर बोर्ड के सदस्य रहे हैं और नई दिल्ली म्यूनिसिपल काउंसिल के वाइस चेयरमैन रह चुके हैं.
सोशल मीडिया पर भी सीएम फेस की रेस
BJP की तरफ से जो 5 नाम आगे चल रहे हैं उन्हें लेकर सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा है. अगर गूगल ट्रेंड की बात करें तो इसमें रेखा गुप्ता और प्रवेश वर्मा का नाम सबसे ज्यादा सर्च किया गया है. यानी लोग इनके नाम को सबसे ज्यादा गूगल पर खोज रहे हैं. नतीजों के बाद से प्रवेश वर्मा आगे बताए जाते रहे हैं. शायद इसी बात का असर है कि X पर उनके सबसे ज्यादा 17 हजार से ज्यादा फॉलोवर्स बढ़े हैं. रेखा गुप्ता और बाकी दावेदारों का नंबर इसके बाद है. लेकिन X पर पोस्ट के आधार पर रेखा गुप्ता प्रवेश वर्मा से आगे हैं. दिल्ली में BJP भले ही सीएम का नाम नहीं बता रही हो लेकिन उसकी तरफ से शपथ ग्रहण के लिए रामलीला मैदान तय कर दिया गया है. साल 2013 से अरविंद केजरीवाल रामलीला मैदान में शपथ लेते रहे हैं लेकिन BJP की तरफ से इसका चुना जाना, उसकी बड़ी सियासी चाल माना जा रहा है.