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दिल्ली शहर का वो सिंगल कमरा, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजारे 6 साल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 69 साल के हो गए है. आज उनके जन्मदिन के मौके पर उनकी जिंदगी के सफर से जुड़ी यादें उनके प्रशंसकों को लुभाती हैं. नरेंद्र मोदी जब बीजेपी महासचिव बनकर दिल्ली आए तो 9 नंबर अशोक रोड के इसी कमरे में रहा करते थे. बता दें कि 9 अशोक रोड बीजेपी के पुराने मुख्यालय के बगल में स्थित है. बीजेपी का पुराना हेडक्वार्टर 11 अशोक रोड में हुआ करता था.

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9 अशोक रोड स्थित कमरे में नरेंद्र मोदी ने गुजारे 6 साल. (फोटो-आजतक)
9 अशोक रोड स्थित कमरे में नरेंद्र मोदी ने गुजारे 6 साल. (फोटो-आजतक)

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  • 1996 से 2001 तक एक कमरे में रहे नरेंद्र मोदी
  • 9 अशोक रोड में 6 साल तक रहे मोदी
  • बाद में जेटली ने इस कमरे को दफ्तर बनाया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 69 साल के हो गए है. आज उनके जन्मदिन के मौके पर उनकी जिंदगी के सफर से जुड़ी यादें उनके प्रशंसकों को लुभाती हैं. नरेंद्र मोदी जब बीजेपी महासचिव बनकर दिल्ली आए तो 9 नंबर अशोक रोड के इसी कमरे में रहा करते थे. बता दें कि 9 अशोक रोड बीजेपी के पुराने मुख्यालय के बगल में स्थित है. बीजेपी का पुराना हेडक्वार्टर 11 अशोक रोड में हुआ करता था.

इस कोठी में जब नरेंद्र मोदी महासचिव के तौर पर रहते थे, तो इसी बंगले के दूसरे कमरे में बीजेपी नेता जेपी माथुर, कैलाशपति मिश्रा और देवदास आप्टे भी रहा करते थे. उसके बाद जना कृष्णमूर्ति भी यहां रहे. इन सबके बीच नरेंद्र मोदी को भी बंगले में ही 9 नंबर का एक कमरा दिया गया था. नरेंद्र मोदी यहां एक कमरे में रहते थे, एक रूम में उनका दफ्तर बना हुआ करता था जो कि बाद में अरुण जेटली का दफ्तर भी बना.

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जिस कमरे में नरेंद्र मोदी रहा करते थे अरुण जेटली उसी कमरे में बैठने लगे और इसी को अपना दफ्तर बनाया. अरुण जेटली के राज्यसभा सांसद होने के नाते यह बंगला उनके नाम से अलॉट हुआ था. 2001 में नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री बनाकर गुजरात भेजा गया. 1996 से 2001 तक नरेंद्र मोदी इसी 9 अशोक रोड के कमरे में रहे.

2001 में नरेंद्र मोदी के गुजरात चले जाने के बाद अरुण जेटली ने इस रूम को अपना दफ्तर बना लिया. वे अक्सर यहीं पर मीडिया से मिला करते थे और पार्टी के कार्यकर्ताओं नेताओं से भी यहीं पर उनकी मुलाकात होने लगी. लेकिन 2014 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद अरुण जेटली ने यह कोठी छोड़ दी और अपना दफ्तर भी यहां से हटा लिया. अब इस कमरे को डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन का दफ्तर बना दिया गया है.

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