महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर पीएम नरेंद्र मोदी आज गुजरात जाएंगे. पीएम मोदी आज देश को खुले में शौच से मुक्त घोषित करेंगे. पीएम मोदी जहां एक तरफ देश के खुले में शौच मुक्त होने का ऐलान करेंगे तो वहीं दूसरी तरफ देश की राजधानी दिल्ली में आज भी कई लोग हों जो खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं. महिलाओं को रोज सुबह 4:00 बजे उठकर रेलवे ट्रैक पर या जंगलों में जाकर शौच करना पड़ता है. इतना ही नहीं स्कूली बच्चे भी खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं. आजतक ने राजधानी दिल्ली के अलग-अलग इलाकों के शौच मुक्त होने के हकीकत का जायजा लिया. जो तस्वीरें जो सामने आईं वह काफी शर्मनाक हैं.
सबसे पहले हम पहुंचे साउथ दिल्ली के बारापूला फ्लाईओवर के पास बनी सेवानगर बस्ती में. इस बस्ती में तकरीबन सौ से डेढ़ सौ परिवार रहते हैं. यहां का एक पूरा परिवार पुल के नीचे बने रेलवे ट्रैक पर सुबह के वक्त शौच करने जाता है. रेलवे ट्रैक पर सिर्फ पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाएं और बच्चे भी सुबह के वक्त ट्रेनों की आवाजाही के बीच शौच करते हैं. बस्ती में रहने वाले सुरेश से हमने बात की. उन्होंने बताया कि वह पिछले 10 सालों से इस बस्ती में रहते हैं लेकिन किसी भी नेता या अधिकारी ने उनकी इस तकलीफ के बारे में गौर ही नहीं किया. यही वजह है कि उनको मजबूरी में रेलवे ट्रैक पर शौच करने जाना पड़ता है.
वहीं महिलाओं के लिए यह परेशानी तब बढ़ जाती है जब उनको सुबह 4:00 बजे उठकर जंगलों में या फिर रेलवे ट्रैक के पास शौच करने जाना पड़ता है. बस्ती में रहने वाली महिलाओं ने बताया कि उन्हें रोज सुबह अपने बच्चों को लेकर रेलवे ट्रैक के पास जंगलों में शौच के लिए जाना पड़ता है. इसकी वजह से आए दिन उनके साथ छेड़छाड़ की घटनाएं भी होती हैं लेकिन मजबूरी के चलते उनको रोजाना इसी तरह से खुले में शौच करने जाना पड़ता है.
निजामुद्दीन के पास बसी मद्रास कॉलोनी का बुरा हाल
वहीं साउथ दिल्ली के निजामुद्दीन के पास में बसी मद्रास कॉलोनी में भी ऐसा ही हाल है. इस कॉलोनी में लगभग 400 परिवार रहते हैं. 40 साल पुरानी इस बस्ती में भी लोग शौच करने के लिए रेलवे ट्रैक पर जाते हैं. इलाके के लोगों का कहना है कि कुछ समय पहले एक पब्लिक टॉयलेट चुनावों से पहले लगाया गया था लेकिन चुनाव बाद वह भी हटा लिया गया. ऐसे में महिलाओं को और बुजुर्गों को भी सुबह-सुबह रेलवे ट्रैक पर जाकर खुले में शौच करना पड़ता है.
बस्ती में स्कूली बच्चे 10:00 बजे के बाद शौच करने नहीं जाते क्योंकि उन्हें और उनके माता-पिता को डर है कि कभी उनके बच्चे किसी हादसे का शिकार ना हो जाएं. जब हमने स्कूली बच्चों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि वह रोजाना या तो सुबह 4:00 बजे उठकर रेलवे ट्रैक पर शौच करने जाते हैं या फिर अपने स्कूल में ही वह शौच करते हैं. लोगों का यह भी कहना है कि जो भी नेता उनके इलाके में टॉयलेट बनवा देगा वह उसी को वोट दे देंगे.