शहीद दिवस के मौके पर सोमवार को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को श्रद्धांजलि देने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हुसैनीवाला जाएंगे. दिनभर के कार्यक्रम में इसके बाद मोदी स्वर्ण मंदिर और जलियांवाला बाग भी जाने वाले हैं, वहीं समाजसेवी अन्ना हजारे भगत सिंह के पैतृक गांव खटकर कलां में उन्हें श्रद्धांजलि देंगे. दिलचस्प यह है कि अन्ना वहीं से भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ अपना अभियान भी शुरू करेंगे.
जानकारी के मुताबिक, पीएम दोपहर एक बजे पंजाब के फिरोजपुर में हुसैनीवाला पहुंचेंगे. हुसैनीवाला में तीनों शहीदों की समाधि है. 23 मार्च 1931 को ही अंग्रेजों ने शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी थी. शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोपहर दो बजे अमृतसर में स्वर्ण मंदिर मत्था टेकने जाएंगे. प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी पहली बार स्वर्ण मंदिर पहुंचेंगे. वह शहीदों को श्रद्धांजलि देने जालियांवाला बाग भी जाएंगे. 13 अप्रैल 1919 को जनरल डायर ने यहीं पर निहत्थे क्रांतिकारियों पर गोलियां चलवाई थीं. पीएम ने अपने कार्यक्रम के बाबत ट्वीट भी किया और इसके जरिए ट्विटर पर शहीदों को श्रद्धांजलि भी दी.
देश पर अपनी जान न्यौछावर कर देने वाले भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के बलिदान दिवस पर शत् शत् नमन । Tributes to these great patriots.
— Narendra Modi (@narendramodi) March 23, 2015
In Punjab today. Will pay homage to Bhagat Singh, Sukhdev & Rajguru at Hussainiwala & will go to Golden Temple & Jallianwala Bagh.
— Narendra Modi (@narendramodi) March 23, 2015
बिल पर बवाल के बाद अब अभियान
शहीद दिवस को देश दिवस के रूप में मनाएं: केजरीवाल
इस बीच, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को देशवासियों से अपील की कि सोमवार को शहीद दिवस को देश दिवस के रूप में मनाया जाए. शहीद दिवस स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह और उनके साथियों की पुण्यतिथि पर मनाया जाता है. केजरीवाल ने फेसबुक पर पोस्ट किए गए वीडियो संदेश में कहा, 'मैं देशवासियों से यह दिन देश दिवस के रूप में मनाने की अपील करता हूं.'
मुख्यमंत्री ने कहा, 'हमें मिलकर देश की भलाई के बारे में सोचना है और आज के दिन देश के लिए कम से कम एक ऐसा काम करें, जो दिवंगत आत्माओं को शांति दे.' सितंबर 1907 में जन्मे भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रभावशाली क्रांतिकारियों में थे, जिन्हें 23 मार्च 1931 को राजगुरु और सुखदेव के साथ लाहौर जेल में फांसी दे दी गई थी. उनका अंतिम संस्कार फिरोजपुर जिले के हुसैनीवाला में किया गया था.