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चुनावों के आते ही चमक उठा जासूसी का कारोबार

चुनाव जीतने के लिए राजनैतिक दल कई दांव-पेच लगाते हैं. लेकिन इस बार चुनाव में राजनैतिक दल निजी जासूसों की मदद ले रहे हैं.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

चुनाव जीतने के लिए राजनैतिक दल कई दांव-पेच लगाते हैं. लेकिन इस बार चुनाव में राजनैतिक दल निजी जासूसों की मदद ले रहे हैं. चुनाव के वक्त नेता भी टिकट पाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ते. लेकिन जब टिकट नहीं मिलता तो नेता खुद अपनी ही पार्टी के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक देते हैं. ऐसे में पार्टियां अपने अंदर के भीतरघात को जानकर उसकी काट के लिए जासूसों का सहारा ले रही है.

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यही नहीं राजनैतिक दल बाकायदा टिकट देने से पहले टिकट मांगने वालों का पूरा लेखा-जोखा भी प्राइवेट जासूसों से निकलवा रहे हैं. इसमें सत्तारूढ़ और विपक्षी पार्टी दोनों ही शामिल हैं.
एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट डिटेक्टिव ऑफ इंडिया (एपीडीआई) के चेयरमैन कुंवर विक्रम सिंह ने कहा, 'इसे वोटर मैनेजमैंट सिस्टम कहते है. इसमें हम किसी सीट से टिकट मांगने वालों के बारे में पूरी जानकारी या उसके जीतने की कितने चांसेस का पता करते हैं.' दूसरी ओर टिकट मांगने वाले भी जासूसों की मदद से ये गोपनीय जानकारी निकलवा रहे हैं कि उनके इलाके में उनको लेकर पार्टी क  क्या रुख है.
दिल्ली में इस वक्त छोटी-बड़ी सैंकड़ों प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसियां है. जाहिर है चुनाव से ठीक पहले मांग ने इनके कारोबार को खूब चमका दिया है. 

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